लखनऊ। प्रदेश की योगी सरकार जिस प्रकार जोर शोर से आलू खरीदने को लेकर ढिंढोरा पीट रही थी। लेकिन ये सब कोरा ढिंढोरा ही साबित हुआ। हकीकत में किसानों का आलू उनके घरों और खेतों में ही सड़ रहा है। किसान अपनी गेहूं की फसल औने पौने दामों पर बिचैलियों के हाथों बेचने को मजबूर है और भाजपा सरकार का अस्सी लाख टन गेहूं खरीद का लक्ष्य सिर्फ भाषणों तक सीमित है। ये कहना है प्रदेश कंग्रेस प्रवक्ता संजय बाजपेयी का। उन्होंने कहा कि लखनऊ सहित प्रदेश के आधे से अधिक जनपदों में हैण्डलिंग (पल्लेदार मजदूर) और परिवहन ठेकेदार तक ढूंढे नहीं मिल रहे हैं। वहीं बिजली की अनुपलब्धता के चलते जिस प्रकार प्रदेश सरकार ई परचेजिंग का थोथा प्रचार कर रही थी, वह भी ई परचेजिंग के लिए आवश्यक संसाधन बिजली, कम्प्यूटर, इंटरनेट, प्रिन्टर आदि नहीं होने के चलते खोखला दावा साबित हो रहा है। किसी भी जनपद में गेहूं क्रय केन्द्र संचालित नहीं हो रहा है। नतीजा ये है कि किसान गेहूं की फसल को बिचैलियों के हाथों औने पौने दामों पर बेचने के लिए मजबूर है और उसकी खून पसीने की गाढ़ी कमाई धूल में मिल रही है।
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