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झांसी। जनपद स्थित महारानी लक्ष्मी बाई मेडिकल कॉलेज का बुरा हाल है। यहां आये दिन मरीजों के साथ बदसलूकी का घटनाएं होती रहती है। कभी तीमारदारों से मारपीट तो कभी डाक्टरों की हड़ताल। हर किसी से अभद्रता करना वहां के कर्मचारियों व जूनियर डाक्टरों की फितरत बन गई है।
मेडिकल कालेज में मरीजों को यातनाएं भुगतनी पड़ रही है। पता नहीं कब सुधरेंगे उत्तर प्रदेश के सरकारी अस्पताल और कब तक नहीं सुनेगे हॉस्पिटल में उपस्थित योगी आदित्यनाथ के डॉक्टर। झांसी के मेडिकल कॉलेज के किसी भी वार्ड में मरीजों की ड्रेसिंग की कोई व्यवस्था नहीं है। मरीजों को ड्रेसिंग पट्टी, करवाने के लिए चार पांच घंटे तक इन्तजार करना पड़ता है। यही, नहीं मरीजों को ड्रेसिंग के लिए रात में लगभग 500 मीटर दूरी तय करके इमर्जेंसी में जाना पड़ता है, वहां पर मौजूद स्टॉफ भी मरीजों की नहीं सुनता, आखिर यह तमाशा मरीज के साथ क्यों होता है। देखा जाए तो वहां पर पर्याप्त स्ट्रेचर भी नहीं है जब मरीज को ड्रेसिंग के लिए जाना पड़ता है तो वार्ड में उपस्थित कर्मचारी को स्ट्रेचर के 100 रुपये देने पड़ते हैं और मरीज को ड्रेसिंग के लिए उसके परिजनों को सौंप दिया जाता है। उनके साथ में कोई भी स्टॉफ नहीं जाता है यही नहीं मेडिकल कॉलेज में मरीजों के लिए दवाओं की भी व्यवस्था नहीं है।
दवायें मरीजों को हॉस्पिटल के बाहर मेडिकल स्टोर से लानी पड़ती है। सरकारी मेडिकल कॉलेज का इलाज अब प्राइवेट हॉस्पिटल से भी मंहगा पड़ता है,इसलिए मरीज सरकारी अस्पताल से प्राइवेट हॉस्पिटल की ओर जाने के लिए मजबूर हो जाते है। क्योंकि, प्राइवेट में मरीज की देखभाल तो ठीक से होती है इसका एक कारण यह भी है कि मेडिकल कॉलेज के अधिकतर सरकारी डॉक्टर प्राइवेट अस्पतालों में देखते है, उनका मेडिकल कॉलेज के मरीजों एवं व्यवस्था की ओर कम ध्यान दिया जाता है। मेडिकल कॉलेज के वार्ड नंबर 8 में भर्ती मरीजों हरकुअ निवासी एरच एवं शेख बाबू निवासी बमौरी कला के परिजनों ने बताया कि हम लोगों को मरीज की ड्रेसिंग के लिए वार्ड से इमर्जेंसी में भेजा गया और वार्ड में स्ट्रेचर के हम से 100 रुपये लिए गए और इमर्जेंसी में हम लोग ड्रेसिंग के लिए डॉक्टरों से हाथ जोडक़र बिनती करते रहे लेकिन ड्रेसिंग की हम लोगों की वहाँ पर कोई भी नहीं सुन रहा था।
हमें अपने मरीज की ड्रेसिंग के लिए रात 10 बजे से सुबह 3 बजे तक इमर्जेंसी में खड़े इन्तजार करना पड़ा। बड़ी प्रार्थना के बाद रात 3 बजे बहा पर उपस्थित एक डॉक्टर अभिषेक ने उनके मरीज की पट्टी की। हद तो तब हो गई जब मरीज हरकुअर के परिजनों ने कहा कि तीन दिन में उन्हें बाहर से लगभग 18000 की दवाएं लिखी गई है जिसके सारे बिल उनके पास मौजूद है इससे साफ होता है कि प्राइवेट से भी मंहगा इलाज सरकारी मेडिकल कॉलेज में हो रहा है।
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