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झांसी में बनेगा देश का पहला विराग स्तम्भ

country first antique column will become in Jhansi - Jhansi News in Hindi

झांसी। युग प्रतिक्रमण प्रवर्तक, विशाल यति संघ के नायक, विश्व विख्याात महाश्रमण परम पूज्य युगप्रमुख श्रमणाचार्य उपसर्ग विजेता राष्ट्र संत बुन्देलखण्ड के प्रथम गणाचार्य 108 विराग सागर महाराज ने कहा कि विद्वानों की विद्वता संक्षेप में ही करने में ही निहित है। देश के मूर्धन्य विद्वानों ने यहां अपने - अपने तरीके से अपने मत व्यक्त किये हैं। विद्वानों के अनुसार रत्नत्रय ग्रंथ नई पीढी को प्रेरणा देने वाली टीका हैं। आचार्य विराग सागर के पावन सानिध्य में अतिशय जैन तीर्थ करगुवांजी में आयोजित युग प्रतिक्रमण एवं यति सम्मेलन महामहोत्सव के नौवंे दिवस आज राष्ट्रीय विद्वत संगोष्ठी के द्वितीय दिवस के मौके पर निर्णय लिया गया कि आचार्य विराग सागर के आचार्य पदारोहण समारोह के उपलक्ष्य में समूचे देश भर में 25 विराग स्तम्भ बनाये जायेंगे।


युग प्रतिक्रमण यति सम्मेलन महामहोत्सव समिति झांसी के पदाधिकारियों ने त्वरित निर्णय लेते हुये विराग स्तम्भ निर्माण में सहभागिता की स्वीकृति देते हुये झांसी में पहला स्तम्भ बनाये जाने की घोषणा की है। महामहोत्सव समिति के अध्यक्ष एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री प्रदीप जैन आदित्य ने इस आशय की मंच से घोषणा करते हुये कहा कि महोत्सव समिति ने निर्णय लिया है कि देश का पहला विराग स्तम्भ झांसी के सांवलिया पाश्र्वनाथ तीर्थ क्षेत्र करगुंवाजी में बनाया जायेगा। श्री जैन ने कहा कि विराग स्तम्भ के निर्माण में जो लोग भी सहयोग करेंगे उनके नाम शिलापट पर स्वर्णाक्षरों से अंकित कराये जायेंगे।

इससे पूर्व पूज्य गणाचार्य के वरिष्ठ शिष्य आचार्य विनिश्चय सागर ने अपना सार गर्भित उद्बोधन देते हुये गुरू महिमा का वर्णन किया। गुरू महिमा का बखान करते हुये उन्होंने कहा कि सोच, विचार और शिथिलता में अनियमिततायें को खत्म कर आत्मा के स्वरूप तक पहुंचाकर हमें मोक्ष का मार्ग बताता है। आचार्य विनिश्चय सागर ने कहा कि हम विद्वानों में थोडी कमी है, कभी-कभी हम वचनों पर पूरा विश्वास नहीं कर पाते, तो वहां सम्यक नहीं है। शिष्य यदि गुरू के वचनों के अनुसार कुंयें में भी कूद जाये तो वहां से भी रत्न लेकर के लौटेगा। गुरू और शिष्य का सम्बन्ध विश्वास का होता है। हमें गुरू के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने का आज स्वर्णिम अवसर है। उन्होंने आचार्य के रजत पदारोहण समारोह के अवसर पर कहा कि हमें पुनः आज इतिहास लिखने की जरूरत है। उन्होंने इस क्रम में पूरे देश में 25 विराग स्तम्भ के निर्माण का प्रस्ताव रखा जिसे विद्वत संगोष्ठी में उपस्थित विद्वत जनों ने सहर्ष स्वीकार कर अपनी सहमति दी। इसी क्रम में महामहोत्सव समिति झांसी ने तत्काल पहला विराग स्तम्भ करगुंवाजी में बनाये जाने की सहर्ष घोषणा कर दी।


मुनि प्रेक्षासागर ने कहा कि संसार से मोक्ष पाने के लिये वह मनुष्य भव्य है। उन्होंने कहा कि दिव्यता में ही भव्यता है, हम गुरू में ही परम पिता परमात्मा के दर्शन कर अपने को धन्य मानें। हस्तिनापुर से आये पीठाधीश्वर स्वामी रवीन्द्र कीर्ति ने ज्ञानमती माताजी द्वारा लिखित नवीन साहित्य एवं मूलबद्री दक्षिण भारत से आये स्वामी चारूकीर्ति भट्टारत ने आचार्य श्री को ताडपत्र पर स्वर्ण से अंकित णमोकार मंत्र की प्रति भेंट की। हस्तिनापुर पीठाधीश्वर स्वामी रवीन्द्र कीर्ति ने कहा कि जैन समाज में आज संगठन व एकता की आवश्यकता है। जैन समाज दिगम्बर और श्वेताम्बर में बंट गया है। आचार्य के ससंघ की प्रशंसा करते हुये उन्होंने कहा कि यह वे संघ हैं जो कि मुनि परम्परा को जीवंत किये है। उन्होंने समाज से आवाहन किया कि वे संतों के अन्दर ग्रंथ न देखें उनके पिच्छी कमण्डल देंखे। समाज एक सूत्र में बंधे और एक क्रिया में चले।

संगोष्ठी की अध्यक्षता प्रेमचन्द्र सुमन उदयपुर ने की। अन्य वक्ताओं में डा. नरेन्द्र कुमार गाजियाबाद, प्रतिष्ठाचार्य पवन दीवान मुरैना, डा. हरिश्चन्द्र मुरैना, डा. अनिल ब्रहृमचारी, डा. सनत कुमार, डा. महेन्द्र कुमार, सूरजमल विहार दिल्ली, अजिन जैन बंधु शास्त्री एरोरा आदि विद्वानों ने आचार्य श्री द्वारा लिखित ग्रंथ रत्नत्रयवर्धिनी पर अपने-अपने व्याख्यान देते हुये साधु एवं श्रावक दोंनों के लिये उपयोगी ग्रंथ बताया। संचालन डा. श्रेयांस जैन बडौत ने किया। सायंकाल आरती उपरान्त संगीतमय भजन संध्या में मुम्बई से आये रवीन्द्र जैन फाउण्डेशन के कलाकारों ने देर रात्रि तक धार्मिक भजनों की प्रस्तुति देकर माहौल को धर्ममय बना दिया।

हस्तिनापुर से आये स्वामी रवीन्द्र कीर्ति, एवं स्वामी चारूकीर्ति भट्टाचार्य (मूलबद्री दक्षिण भारत ) ने चित्र अनावरण एवं दीप प्रज्जवलित कर आचार्य श्री को शास्त्र भेंट किया। कु प्रियंका जैन एवं राजेश जैन भोपाल ने मंगलाचरण किया। अशोक कुमार बडजात्या जयपुर एवं चम्पालाल, प्रदीप कुमार ,प्रसन्न कुमार, नोंहरकलां ललितपुर ने पाद प्रक्षालन का सौभाग्य प्राप्त किया। संचालन प्रवीण कुमार जैन ने किया। अंत में मुख्य महोत्सव प्रभारी सुभाष जैन ठेकेदार ने आभार व्यक्त किया।

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