गोरखपुर। धर्म केवल कर्मकांड और प्रवचन तक ही सीमित
नहीं है। सार्थकता बनाए रखने के लिए इसको व्यावहारिक रूप देना जरूरी है। यह
कार्य गोरक्षपीठ शुरू से करती रही है। यह बात रविवार को प्रदेश के
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ और अवैद्यनाथ की
8वीं पुण्यतिथि समारोह में कही। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
उन्होंने कहा कि गोरख पीठ ने धर्म के वास्तविक अर्थ को चरितार्थ किया है।
मध्यकाल में इस पीठ पर तमाम संकट आए, यहां के आध्यात्मिक वैभव को खत्म करने
का प्रयास किया गया। लेकिन महंत दिग्विजयनाथ ने अपने नाम के अनुरूप कार्य
किया और वैभव को कायम रखा। अवैद्यनाथ का जिक्र करते हुए सीएम ने कहा कि
उनका मानना था कि छुआछूत से समाज बंटता है और इससे राष्ट्र कमजोर होता है।
उन्होंने
महंत अवैद्यनाथ के प्रयासों की विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि वह कहते
थे कि कोई भी कार्य व्यवसाय की दृष्टि से नहीं सेवा भाव से किया जाना
चाहिए। योगी ने छुआछूत को समाप्त करने को लेकर अवैद्यनाथ की प्रतिबद्धता
बताते हुए कहा कि वह इस सम्बंध में किसी तरह का तर्क सुनने के लिए तैयार
नहीं थे। उनका मानना था कि छुआछूत से समाज बंटता है और इससे राष्ट्र कमजोर
होता है।
आईएएनएस
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