लखनऊ/अयोध्या।विवादित रामजन्मभूमि पर प्रस्तावित मंदिर के लिए राजस्थान
के बयाना से पत्थरों का आना शुरू हो गया है। अभी वहां पर तीन ट्रक पत्थर लाए गए और
इन्हें रामघाट स्थित रामसेवकपुरम में रखवाया गया। वहां से इन पत्थरों को करीब पांच
सौ मीटर के फासले पर स्थित रामजन्मभूमि न्यास कार्यशाला में ले जाया जाएगा। उम्मीद
की जा रही है कि पत्थरों को लाने के काम में आने वाले समय में और तेजी आयेगी। पत्थर
आने की खबर के बाद अब इस पर राजनीति भी शुरू गयी है हालांकि अयोध्या में
किसी भी तरह की कोई खलबली नहीं है।
राममंदिर बाबरी मस्जिद विवाद का मामला फिलहाल सुप्रीम कोर्ट
में लंबित और इस बारे अभी तक कोई फैसला नहीं आया है। लेकिन कुछ समय से हिंदू
संगठनों की ओर से राज्य में भाजपा की सरकार बनने के बाद इस पर गतिविधियां तेज हो
गयी है। हालांकि भाजपा की तरफ से कोई इस बारे में खुलकर नहीं बोल रहा है। विहिप, बजरंग
समेत कई हिंदूवादी संगठन सरकार विवादित रामलला में राम बनाने की मांग कर सरकार पर
दबाव बना रही है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
राममंदिर न्याय कार्यशाला के सुपरवाइजर गिरीश भाई सोमपुरा के
अनुसार प्रस्तावित मंदिर में करीब सवा चार लाख घन फीट पत्थर प्रयुक्त होने है।
मंदिर के लिए अब तक पत्थर तराशी का 70 फीसदी काम हो चुका है और सवा लाख घन फीट पत्थरों की तराशी
अभी बाकी है। उनका कहना है कि तीन माह पूर्व
प्रदेश में भाजपा सरकार आने से पूर्व सपा सरकार के समय वाणिज्य कर विभाग ने नियमों
का हवाला देकर राजस्थान से पत्थरों के आयात पर रोक लगा दी थी और अब प्रदेश में
भाजपा की सरकार है।
पिछले तीन महीने के दौरान दूसरी बार पत्थरों की खेप
रामसेवकपुरम पहुंची है। हालांकि हमने 2015 में भी पूरे देश
से पत्थरों को एकत्र करने की ऐसी कोशिश हुई थी, उस समय तत्कालीन समाजवादी सरकार ने
दो ट्रक पत्थरों के आने के बाद उस पर रोक लगा दी थी और वाणिज्य कर विभाग ने
पत्थरों को लाने के लिए फॉर्म 39 जारी करने से इनकार कर दिया था। पिछले महीने एक ट्रक ही
पत्थर आया था, जबकि इस बार एक
साथ तीन ट्रक पत्थर लाए गए। राममंदिर न्यास कार्यशाला के मुताबिक पत्थरों की लाने
का मकसद कार्यशाला की गतिविधियों को नियमित बनाए रखने के प्रयास है। उनका कहना है
कि कार्यशाला में वर्षों पूर्व से ही इतने पत्थर तराशे जा चुके हैं कि किसी भी समय
मंदिर निर्माण शुरू होने की सूरत में तराशे गए पत्थरों की कमी नहीं पड़ने वाली है।
उधर वरिष्ठ विहिप नेता त्रिलोकी नाथ पांडेय का कहना है कि
मंदिर के लिए हमें 100 ट्रक से ज्यादा पत्थरों की आवश्यकता होगी। पांडेय ने कहा
कि अब प्रदेश में बीजेपी की सरकार है। इसलिए अब मंदिर निर्माण में कोई रुकावट
सामने नहीं आएगी। उन्होंने कहा कि एक महीने पहले हमने वाणिज्य कर विभाग के अधिकारियों
से संपर्क किया था और उन्होंने एक साल से रोके गए फॉर्म 39 को तुरंत जारी
कर दिया। उनका कहना है कि 2019 से पहले अयोध्या में राममंदिर का काम शुरू हो जाएगा
क्योंकि यह बहुसंख्यक समुदाय की भावना का मामला है।
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