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बुंदेलखंड में कम बारिश के बाद फिर सूखे का संकट

Bundelkhand drought crisis after low rainfall - Banda News in Hindi

बांदा| उत्तर प्रदेश के हिस्से वाले बुंदेलखंड के सभी सात जिलों में कम बारिश की वजह से एक बार फिर सूखा पड़ने के हालात बन गए हैं। किसानों की फसल सूखती जा रही है, जिससे किसानों के माथे में चिंता की लकीरें साफ झलकने लगी हैं। मौसम विभाग के अनुसार, 899 मिलीमीटर की सापेक्ष सिर्फ 477 मिलीमीटर की बारिश रिकार्ड की गई है।

पिछले तीन दशकों से उत्तर प्रदेश के हिस्से वाले बुंदेलखंड के सभी सात जनपदों- बांदा, चित्रकूट, महोबा, हमीरपुर, जालौन, झांसी और ललितपुर में मौसम विशेषज्ञों का अनुमान गलत साबित होता रहा है। मौसम विभाग के अनुमान के मुताबिक बुंदेलखंड के बांदा, चित्रकूट, महोबा और हमीरपुर जिले में अगस्त माह के अंत तक 731.6 मिलीमीटर बारिश हो जानी चाहिए, जो 458.2 मिलीमीटर तक ही सिमट कर रह गई और सितंबर के अंत तक 899 मिलीमीटर की बारिश का अनुमान था। लेकिन आधे सितंबर तक सिर्फ 477 मिलीमीटर ही बारिश हुई, जो 422 मिलीमीटर कम है।

बारिश की कमी और तेज धूप से धान, ज्वार, अरहर, तिल, उड़द और मूंग की फसल मुरझाकर सूख रही है। किसान आसमान की ओर टककटी लगाए हुए हैं, क्योंकि सिंचाई की समुचित व्यवस्था नहीं है।

बुंदेलखंड के किसान नेता और बांदा जिला पंचायत के पूर्व अध्यक्ष कृष्ण कुमार भारतीय का कहना है कि शुरुआती बारिश से ऐसा लग रहा था कि अबकी बार किसानों को पर्याप्त मात्रा में पानी मिलेगा, यही सोचकर चित्रकूटधाम मंडल के किसानों ने भी प्रदेश सरकार के बुआई के निर्धारित लक्ष्य 3,66,766 हेक्टेयर से आगे निकल कर 3,97,760 हेक्टेयर में खरीफ के फसल की बुआई की थी।

उन्होंने बताया कि हालांकि पिछले साल की अपेक्षा मौजूदा राज्य सरकार ने इस साल 1.07 लाख हेक्टेयर का लक्ष्य घटा दिया है।

उधर, चित्रकूटधाम मंडल बांदा के आयुक्त ए.के. शुक्ल ने बताया कि बुंदेलखंड में बारिश कम होने से सूखे के लक्षण दिखाई देने लगे हैं। राज्य सरकार के निर्देश पर कृषि निदेशक सोराज सिंह ने सभी सातों जिलाधिकारियों को पत्र भेजकर 15 दिन के भीतर गांववार सर्वे कराकर खरीफ की फसल के नुकसान का ब्यौरा प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत बीमा कंपनी को भिजवाने का निर्देश जारी किया है, ताकि किसानों को आंशिक क्षतिपूर्ति दी जा सके।

सरकारी क्षतिपूर्ति या मुआवजा में हालांकि कोई दम नहीं होता है, फिर भी पिछले तीन दशकों से सूखे और अन्य दैवीय आपदा का दंश झेल रहे किसानों के आंसू जरूर पोंछे जाएंगे। इस साल भी बरसाती पानी का अभाव होने से किसान फिर बर्बादी के कगार पर खड़ा गया है और अन्य राज्य सरकारों की भांति योगी सरकार भी वैसा ही करेगी। इसकी बानगी फसल ऋण मोचन योजना है, जिसमें कई किसानों को सिर्फ 37 पैसे से 10 रुपये तक का ऋणमाफी प्रमाणपत्र दिया गया है।

पिछले साल मुआवजे के तौर पर कई किसानों को पांच और दस रुपये तक का फसल नुकसान मुआवजा दिया गया था। यानी सरकार बदलती है, व्यवस्था नहीं बदलती। हां, बदलाव के दावे बड़े अखबारों में फुलपेज विज्ञापन देकर जरूर किए जाते हैं।

आईएएनएस

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Web Title-Bundelkhand drought crisis after low rainfall
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