अमरीष मनीष शुक्ला ।इलाहाबाद । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यमुना एक्सप्रेस-वे जमीन अधिग्रहण पर बड़ा फैसला सुनाया है । न्यायालय ने 97,3747 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहण को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने आदेश दिया है कि 60 दिनो में किसानो को या तो मुआवजा दे दिया जाये यह फिर उनकी जमीन वापस कर दी जाए। इस फैसले से किसानों को जहां बड़ी राहत मिली है। वहीं यमुना एक्सप्रेस-वे अथॉरिटी को बड़ा झटका दिया गया है। गौरतलब है कि चांदपुर गांव की 97,3747 हेक्टेयर जमीन को यमुना एक्सप्रेस वे के लिये अधिग्रहित किया गया था। लेकिन किसानों को मुआवजा नहीं दिया गया। जिसके विरूद्ध किसानों ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी । हाईकोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुये चांदपुर गांव की जमीन का अधिग्रहण रद्द कर दिया ।
2013 के कानून के तहत देना होगा मुआवजा यूपी के गौतमबुद्ध नगर के चांदपुर गांव पड़ता है। यमुना एक्सप्रेस वे के लिये इस गांव की 97,3747 हेक्टेयर भूमि को जमीन का धारा 4 व 6 एवं 17 के तहत अर्जेन्सी क्लाज में अधिग्रहण किया गया। चूंकि यह भूमि अध्रिगहण सुनियोजित विकास के लिए किया गया था। जिससे किसानों को लाभ मिलता । लेकिन अथॉरिटी ने मुआवजे के लिये अपनी मनमानी की। जिससे किसानो को बगैर संतुष्ट किये जमीन अधिग्रहण कर ली गई । लेकिन अब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2013 के नये कानून के तहत मुआवजे का भुगतान का आदेश दिया है।
किसानों को मिलेगा लाभकिसानों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में जब याचिका दाखिल की थी तभी यह तय हो गया था कि हाईकोर्ट किसानों के हित में फैसला सुनायेगा। न्यायमूर्ति अरूण टंडन और न्यायमूर्ति रेखा दीक्षित की खंडपीठ ने सुनवाई शुरू की तो जमीन अधिग्रहण में मुआवजे की प्रक्रिया को सही नहीं माना । कोर्ट ने कहाकि 60 दिन के भीतर जमीन व उस पर हुए निर्माण का मूल्यांकन किये जाये और 2013 के कानून के तहत किसानों को मुआवजे का भुगतान किया जाये। जिन किसानों को नये कानून के तहत मुआवजे का भुगतान नहीं किया जाता तो उनकी जमीन वापस की जाये।
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