अमरीष मनीष शुक्ला,इलाहाबाद । इलाहाबाद हाईकोर्ट में बार एसोसिएशन की ओर से आयोजित संगोष्ठी
के दौरान भाजपा सांसद वरुण गांधी के शब्दों ने अब केन्द्र सरकार से लेकर
राज्य सरकार व खूफिया एजेंसियों के कान खड़े कर दिये हैं। सांसद वरूण ने ऐसा
बयान क्यों दिया और इसके क्या मायने हैं। यह अब गणितज्ञ सुलझाने में लगे
हुये हैं। मीडिया रिपोर्ट के बाद लोकल इंटेलिजेंस यूनिट व इंटेलिजेंस
ब्यूरो ने बार एसोसिएशन के कार्यक्रम की वीडियो व ऑडियो फुटेज जुटाई है।
जिसे दिल्ली भेज दिया गया है । अक्सर अपनी बयानबाजी को लेकर सुर्खियों में
रहने वाले वरूण के लिए यह ऐसा पहला मौका था। जब भाजपा के एक बड़ा धड़ा उनके
इलाहाबाद के कार्यक्रम से बॉयकॉट कर गया था। वरूण ने किसी नाराजगी में यह
शब्द इस्तेमाल किया य यह उनके भाषण का हिस्सा था। यह तो स्पष्ट नहीं हो
सका। लेकिन एक बात तो साफ है। वरूण ने अपने शब्दो में "सरकारों" का
इस्तेमाल किया था। जिससे मौजूदा योगी व मोदी सरकार पर ही निशाना माना जा
रहा है।
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हालात क्यों पनपे
राजनीति के गलियारे में वरूण की तल्खी उसी दिन बढ़ गयी थी। जब इलाहाबाद की
रैली में वरूण गांधी को सीएम बनाने की मांग कर रहे समर्थकों को साफ लहजे
में चुप कराकर । इसे अनुशासनहीनता माना गया था। वही दूसरी ओर योगी
आदित्यनाथ के समर्थकों पर केन्द्रीय नेतृत्व चुप्पी साधे हुये था। लगातार
कई सालों से युवाओ की एक बडी संख्या वरूण को सीएम बनाने की मांग करती रही।
लेकिन सूबे में चुनाव प्रचार के दौरान भी वरूण को अलग थलग छोड़ दिया गया था।
आश्चर्य तो तब हुआ था जब सूबे में पूर्ण बहुमत मिलने के बाद वरूण गांधी के
सीएम पद की दावेदारी पर चर्चा तक नहीं हुई।
अगर देखा जाये तो गांधी परिवार का रूतबा उनके नाम के साथ जुड़ा हुआ है। वह
खुद भी फायर ब्रांड नेता के तौर पर जाने जाते हैं। लेकिन खासे लोकप्रिय
होने के बावजूद भी वरूण को केंद्र में मंत्री नहीं बनाया गया । माना जा रहा
है कि वरूण गांधी की लगातार उपेक्षा हो रही है। भाजपा संगठन का ही एक धड़ा
गांधी फैमली के इस चिराग को बहुत तेज नहीं जलने देना चाहता। जिसके चलते देश
भर में अपनी अलग पहचान व यूपी में खासा प्रभाव रखने वाले वरूण को बड़ी
जिम्मेदारी नहीं दी जा रही है।
केंद्र में हलचल
सूत्रों के हवाले से पुख्ता खबर मिली है कि भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व में
इस बयान से हलचल है। नेतृत्व वरूण की मंशा सूंघने में लगा है। इसलिये वरूण
के इलाहाबाद में हुये कार्यक्रम की रिकॉर्डिंग भी मंगवाई गयी है। माना जा
रहा है कि ऐसे बयानों से जनता के बीच वरूण अपनी छवि को चमकाने की कोशिश कर
रहे हैं और यह सही भी है। वरूण के बयान के एक दिन बाद जब मीडिया रिपोर्ट
में बयान प्रसारित हुआ तो हर किसी ने उन्हे नोटिस किया।जबकि इलाहाबाद में कार्यक्रम होने पर न मीडिया ने ही इसे बड़े कार्यक्रम के
तौर पर कवरेज को तरजीह दी थी। न ही भाजपाईयों ने कार्यक्रम में दिलचस्पी
दिखाई थी।
बुधवार को हुआ था कार्यक्रम
इलाहाबाद हाईकोर्ट में बीते बुधवार को हाईकोर्ट बार एसोसिएशन की ओर से
संगोष्ठी आयोजित हुई। विषय था ‘न्याय का वास्तविक अर्थ’। जिसमे भाजपा
सांसद वरुण गांधी ने कहा था कि सरकारों ने सिर्फ अमीरों के कर्ज माफ किए
थे। उनको गरीब और किसानों के कर्ज की चिंता नहीं है। भाषण में उन्होंने
तमिलनाडु के किसानों के दिल्ली के जंतर मंतर पर किए गए आंदोलन प्रदर्शन का
भी जिक्र किया था। सरकार शब्द के इस्तेमाल को मीडिया ने कैच किया और अगले
दिन यह बयान सुर्खियों में आ गया।
अब भाजपा से लेकर हर जगह वरूण के इस बयान के अलग अलग अर्थ निकाले जा रहे
हैं। फिलहाल वरूण की प्रतिक्रिया ही इस असमंजस को खत्म कर पायेगी।
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