अमरीष मनीष शुक्ला ,इलाहाबाद । इलाहाबाद में राजनैतिक प्रतिद्वंद्विता के बाद उपजने वाली
दुश्मनी का असर शुरू हो गया है। जिले के बड़ी पहुंच वालों में गिने जाने
वाले सपा नेता रामचंद्र पासी को देर गोली मार दी गयी है। हालांकि वह
जिंदा बच गये हैं। इस समय गंभीर हालत में उनका इलाज अस्पताल में चल रहा
है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
घटना सोमवार की रात धूमनगंज थाना क्षेत्र के टीपी नगर स्थित आरटीओ ऑफिस के
पास हुई। पल्सर बाइक सवार नकाबपोश दो बदमाशों ने ताबड़तोड़ गोली बारी की।
गोली लगने से सपा नेता लहूलुहान हो कर गिर पड़े । बदमाश उन्हे मरा समझकर भाग
खड़े हुये। स्थानीय लोगों ने मदद करते हुये पुलिस को सूचना दी। तो उन्हें
इलाहाबाद के स्वरूपरानी नेहरू हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है।
हारे विधायकी, 15 साल बाद भाई भी हारा
रामचंद्र पासी का परिवार उपर की राजनीति में पहुंच वाले कुनबे में गिना
जाता है। रामचंद्र खुद जिला पंचायत सदस्य रहे। सपा के टिकट पर विधानसभा का
चुनाव लड़े। लेकिन हार गये। जबकि रामचंद्र का भाई पिछले 15 साल से ब्लॉक
प्रमुख थे। लेकिन इस बार वह भी हार गये । छोटे भाई के साथ बालू खुदाई का
ठेका लेने वाले इस कुनबे की राजनैतिक धड़ सरकार जाने के बाद कमजोर होने लगी
थी। जिसका फायदा उठाने के लिये बदमाशो ने पूरी कोशिश की। हालांकि रामचंद्र
को बदमाश रास्ते से हटे नहीं सके।
बसपा नेता मर्डर केस सरीखा
इलाहाबाद के मऊआइमा में बसपा नेता मो शमी की हत्या जिस तरह हुई थी। उसी तरह
सपा नेता पर भी हमला हुआ। गाड़ी का गेट खोलते ताबड़तोड़ गोलियां तड़तड़ा उठी।
घटना स्थल इलाहाबाद का ट्रांसपोर्ट नगर है। यहां आरटीओ ऑफिस के सामने घर
बनवा रहे सपा नेता रामचंद्र सुबह अपने गांव से सफारी कार से आए थे। रात में
वह जैसे घर जाने के लिए सफारी में बैठने लगे। लाल रंग की पल्सर बाइक
बदमाशों ने उन पर फायर झोंक दिया। गोली रामचंद्र के कंधे पर लगी तो वह गिर
पड़े । लेकिन अगले ही क्षण वह सामने घर में भागकर घुस गए। बदमाशों ने
रामचंद्र का पीछा किया। लेकिन मौका सही न देखकर भाग निकले। थोड़ी ही देर
में लोगों की भारी भीड़ जुट गई और सूचना पुलिस को दी गई ।
खुद हिस्ट्रीशीटर
रामचंद्र भले ही सपा नेता हो। लेकिन पुलिस के रिकार्ड में आज भी वह
हिस्ट्रीशीटर ही है। घटना के समय सफारी पर दो मजदूर भी थे। जो इस खौफनाक
मंजर को देखकर गाड़ी में छिप गये। बताया जाता है कि रामचंद्र के दुश्मनों की
लंबी फेहरिस्त है। कौशाम्बी में कई बार वर्चस्व मैं गोलियां तड़तड़ायी हैं।
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