इलाहाबाद। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मृतक आश्रित कोटे के तहत पत्नी को नौकरी दिए जाने के मामले में एक बड़ा आदेश सुनाया है। जिसके तहत अब सरकारी नौकरी कर रहे पति की मौत के बाद विधवा महिलाओं को सिविल न्यायालय से न तो विधवा प्रमाणपत्र के लिये भटकना पडे़गा और न ही घोषणात्मक डिक्री के लिये परेशान होना होगा। मृतक आश्रित कोटे के तहत पत्नी को सीधे नौकरी दी जाएगी और अभी तक अनिवार्य रूप से लगने वाले प्रमाण पत्र व डिक्री की झंझट से राहत मिलेगी। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
परन्तु हाईकोर्ट ने अपने फैसले में यह भी स्पष्ट किया कि इस दशा में परिवार में कोई विवाद नहीं होना चाहिए। यानी कि ससुराल पक्ष के किसी अन्य शख्स द्वारा मृतक आश्रित का लाभ पाने की अपील नहीं की जानी चाहिए। हालांकि अगर ससुराल पक्ष से कोई और भी मृतक आश्रित कोटे के तहत लाभ पाने के अपील करता है तो ऐसी दशा में सबसे पहले विधवा को ही वरीयता दी जाएगी। उसके बाद अन्य याचियों को प्राथमिकता मिलेगी।
क्या है मामला
यूपी के हाथरस के रहने वाले दिनेश कुमार शर्मा की शादी अंजना से 24 मई 2014 को हुई थी । दिनेश इंटेलिजेंस ब्यूरो में बतौर दरोगा के पद पर तैनात थे। शादी के 3 दिन बाद ही दिनेश की मौत हो गई और पति की मौत के बाद अंजना ने इंटेलिजेंस ब्यूरो में मृतक आश्रित कोटे के तहत नियुक्ति व पेंशन के लिए आवेदन किया। विभाग ने अंजना के आवेदन को अस्वीकार करते हुए कहा कि वह विधवा होने का प्रमाण पत्र व डिग्री प्रस्तुत करें। विभाग के इनकार के बाद अंजना हाईकोर्ट पहुंची और इंटेलिजेंस ब्यूरो को कोर्ट में घसीट लिया।
हुआ ऐतिहासिक फैसला
मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति पंकज मित्तल और न्यायमूर्ति इरशाद अली की खंडपीठ ने शुरू की तो सुनवाई के दौरान बताया गया कि अंजना ने विवाह निमंत्रण कार्ड परिवार रजिस्टर में पत्नी के रूप में दर्ज अपना नाम व अन्य अभिलेख इंटेलिजेंस ब्यूरो में आवेदन के दौरान प्रस्तुत किए। ससुराल के लोगों ने भी अपने प्रार्थना पत्र में अंजना को बहू माना और किसी भी विवाद की गुंजाइश नहीं रखी। इसके बावजूद भी अब इंटेलिजेंस ब्यूरो याची से विधवा प्रमाण पत्र व डिक्री की मांग कर रहा है। मामले में दलीलों के बाद कोर्ट ने पाया कि इंटेलिजेंस ब्यूरो कि कार्य प्रणाली गलत है। कोर्ट ने कहा कि जब परिवार में कोई विवाद नहीं है। मृतक आश्रित नियुक्ति के लिए मृतक की विधवा के प्रति किसी ने कोई आपत्ति नहीं है तो उसे कोई प्रमाण पत्र लाने की आवश्यकता नहीं है। हाई कोर्ट ने यह भी साफ किया कि ससुराल के अन्य पक्ष भी अगर मृतक आश्रित का लाभ पाने की याचना करते हैं तो उस दशा में भी विधवा का ही प्रथम अधिकार होगा ।कोर्ट के फैसले के बाद अब मृतक आश्रित कोटे के तहत विधवाओं को नौकरी पाना आसान होगा।
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