उदयपुर/जयपुर। देश की सभी विधानसभाओं को डिजिटाइजेशन और ई-विधान के जरिये पेपरलेस किया जाएगा और वेल में आने के संबंध में सभी दलों द्वारा आचार संहिता बनाई जाएगी। ये महत्वपूर्ण निर्णय उदयपुर में मंगलवार को संपन्न हुए 16वें अखिल भारतीय सचेतक सम्मेलन में किए गए। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
दो दिवसीय सम्मेलन के समापन समारोह को केन्द्रीय संसदीय मामलात राज्य मंत्री विजय गोयल एवं अर्जुनराम मेघवाल, राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष कैलाश मेघवाल, राजस्थान के संसदीय कार्य मंत्री राजेन्द्र राठौड़ एवं मुख्य सचेतक कालुलाल गुर्जर, संसदीय कार्य मंत्रालय के सचिव राजीव यादव आदि ने संबोधित किया।
उदयपुर के होटल रेडिसन ब्लू में केन्द्रीय संसदीय कार्य मंत्रालय एवं राजस्थान सरकार के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित 18वें अखिल भारतीय सचेतन सम्मेलन का समापन राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष कैलाश मेघवाल की अध्यक्षता में हुआ। इस दो दिवसीय सम्मेलन में गहन चर्चा के बाद सामने आए सुझावों तथा निष्कर्षों को अमल में लाने के लिए हर स्तर पर सार्थक क्रियान्वयन के प्रयास होंगे।
सम्मेलन के समापन अवसर पर केंद्रीय संसदीय कार्य राज्य मंत्री विजय गोयल ने लोकसभा, राज्यसभा और विधानसभाओं में सदस्यों की अधिक से अधिक समय उपस्थिति सुनिश्चित करने, सचेतकों के लिए सुविधाओं व संसाधनों के साथ ही बेहतर प्रबंधन मुहैया कराने, विधानसभाओं की लोकोपयोगी कार्यवाही को उपयोगी बनाने के लिए इसे पुस्तकालयों में भिजवाने व इसके पठन के लिए सदस्यों को प्रेरित करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
उन्होंने पिछले सम्मेलनों की सिफारिशों को लागू करने की गति में तीव्रता लाने, शून्यकाल को और अधिक प्रभावी बनाने और वेल में आ जाने वाले सदस्यों की स्थिति को देखते हुए कठोर अनुशासन व्यवस्था लागू करने पर बल दिया और कहा कि सभी पार्टियों को मिलजुल कर इस बारे में सर्वसम्मत एवं पालनीय आचार संहिता बनाने की पहल की जानी चाहिए। सम्मेलन में 21 राज्यों के 87 संभागियों ने भागीदारी दर्ज कराकर गहन मंथन किया और अपने सुझाव दिए।
केंद्रीय संसदीय कार्य राज्य मंत्री विजय गोयल विजय गोयल ने सम्मेलन के सभी सत्रों में सामने आए सुझावों और सिफारिशों पर चर्चा की और कहा कि इन निष्कर्षों के अनुरूप बेहतर प्रबंध सुनिश्चित करने के हरसंभव प्रयास किए जाएंगे। उन्होंने संसदीय कार्य व्यवस्था में मौजूदा समय के अनुरूप डिजिटाइजेशन की उपयोगिता प्रतिपादित करते हुए विधानसभाओं को ई-विधान के साथ ही पेपरलेस बनाने से संबंधित गतिविधियों को पूरी प्राथमिकता से लागू करने के कार्य में तेजी लाए जाने पर जोर दिया और कहा कि इससे पारदर्शिता को मजबूती मिलेगी। इसके साथ ही विधायिका के डिजिटाइजेशन पर भी बल दिया।
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