जयपुर/उदयपुर। पहाड़ी उबड़-खाबड़ जमीन थी, खेती के अलावा और कोई सहारा नहीं था, परंतु ऎसी जमीन पर कोई खेती संभव भी नहीं थी। ऎसे में परिवार का भरण-पोषण बहुत कठिन हो रहा था, लेकिन सरकार की योजना के तहत उसे मिले पांच लाख के ऋण की आर्थिक सहायता ने उसकी जिंदगी बदल दी। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
यह कहना है ग्राम उदयपुर के महाकुंभ में महाराणा प्रताप कृषि विश्वविद्यालय पहुंचे सलम्बूर के कृषक वालचंद पटेल का। उन्होंने बताया कि उनके पास दस बीघा जमीन थी, जो पहाड़ी एवं असमतल थी। विभागीय योजना के तहत मिली सहायता से उसने जमीन को समतल करवाया और उस पर दो बीघा में चने, पांच बीघा में गेहूं, चार बीघा में जौ और एक बीघा में सरसों की फसल की। समतलीकरण के बाद हुए फसल उत्पादन से घर के आर्थिक हालात तो बदले ही। आर्थिक उन्नति से पशुओं की सार-संभाल भी हुई। पटेल ने बताया कि आज उनके पास 11 गाय और दो भैंसें हैं, जो प्रतिदिन कुल एक सौ तीस लीटर दूध देती हैं।
कृषक वालचंद ने चहकते हुए बताया कि ग्राम में आकर उन्होंने बहुत कुछ सीखा है और वे अपनी खेती में नवाचार करेंगे। साथ ही यहां जो नई तकनीकी एवं सरकारी योजनाओं की जो जानकारी उसे मिली है, उसका भी वो पूरा लाभ उठाएंगे और अन्य किसानों को भी अवगत कराएगा।
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