जोधपुर। महज दस साल की अबोध उम्र में ही बाल विवाह के बंधन में जकड़ने के बाद करीब एक दशक तक लगातार पल-पल खौफ और सितम के साए में जिंदगी गुजार रही उन्नीस वर्षीय पिंकी कंवर को आखिरकार बाल विवाह के दंश से मुक्ति मिल गई। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
पिंकी कंवर ने सारथी ट्रस्ट की मैनेजिंग ट्रस्टी व पुनर्वास मनोवैज्ञानिक डाॅ.कृति भारती का संबल पाकर जोधपुर के पारिवारिक न्यायालय संख्या-1 में बाल विवाह निरस्त करने की गुहार लगाई थी। जिस पर न्यायाधीश रेखा भार्गव ने पिंकी कंवर के तकरीबन 10 साल पहले हुए बाल विवाह को निरस्त करने का फैसला सुनाया।
अलवर जिले की मूल निवासी और जोधपुर में अध्ययनरत उन्नीस वर्षीय पिंकी कंवर का करीब 10 साल की उम्र में ही समाज के लोगों ने परित्यकता माता पर दबाव बनाकर दौसा निवासी हिम्मत सिंह के साथ बाल विवाह करवा दिया था। बाल विवाह के बाद से उसके ससुराल वालों ने गौना करवाने के लिए दबाव बनाकर अगवा तक करने के प्रयास किए। करीब दस साल तक पिंकी व उसकी माताजी ने खौफ के साए में पल-पल गुजारा।
पिंकी कंवर व माता मीरा देवी को सारथी ट्रस्ट की मैनेजिंग ट्रस्टी एवं पुनर्वास मनोवैज्ञानिक डाॅ. कृति भारती के बाल विवाह निरस्त की मुहिम के बारे में पता चलने पर मुलाकात कर पीडा बताई। बाद में डाॅ. कृति भारती ने पिंकी को खुद के संरक्षण में ले लिया।
वहीं गत वर्ष जून माह में पिंकी कंवर ने सारथी ट्रस्ट की मैनेजिंग ट्रस्टी एवं पुनर्वास मनोवैज्ञानिक डाॅ.कृति भारती की मदद से जोधपुर पारिवारिक न्यायालय संख्या-1 में बाल विवाह निरस्त के लिए वाद दायर किया। डाॅ.कृति भारती ने न्यायालय को पिंकी के बाल विवाह निरस्त के तथ्यों और आयु संबंध दस्तावेजों से अवगत करवाया। इसके साथ ही लड़के की दिव्यांगता और लाइलाज बीमारी के बारे में भी तथ्य उजागर किए।
जिस पर जोधपुर पारिवारिक न्यायालय संख्या 1 की न्यायाधीश रेखा भार्गव ने पिंकी कंवर के करीब एक दशक पहले हुए बाल विवाह को निरस्त करने का फैसला सुनाकर बाल विवाह के खिलाफ समाज को कडा संदेश दिया।
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