जोधपुर। उम्र महज 3 साल। जिस उम्र में खेलने कुदने और मस्ती की ललक पैदा हुई उसी दौर में बाल विवाह कर दिया गया। बाल विवाह के इस भयानक दंश को झेलते हुए 14 साल बीत गए। मगर इस मासूम ने कभी हार नहीं मानी। आखिरकार 14 साल की इन बाल विवाह की बेड़ियों से निकलकर सरिता (काल्पनिक नाम) को मुक्ति मिल ही गई। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
दरअसल, जयपुर के सूंथला क्षेत्र की की रहने वाली 17 वर्षीय सरिता (काल्पनिक नाम) के पिता की 2003 में मृत्यु हो गई थी। पिता की मौत के बाद सितम्बर 2003 में परिजनों ने समाज के दबाव में आकर सरिता का प्रतापनगर क्षेत्र के रहने वाले एक युवक के साथ बाल विवाह कर दिया। बाल विवाह के समय बालिका वधु बनी सरिता की उम्र महज 3 साल थी।
बालिका वधु सरिता की विधवा मां पर लगातार ससुरालवालों और समाज ने दबाव बनाया कि अब वह उसे भेज दे। लेकिन सरिता अपना घर छोड़कर जाने को तैयार नही थी। इस दौरान सरिता ने सारथी ट्रस्ट का सहारा लिया। यहां से संबल पाकर बालिका वधु सरिता ने समाज और ससुरालवालों की परवाह न करते हुए इस बाल विवाह को मानने से इंकार कर दिया।
बाद में पीड़िता ने सारथी ट्रस्ट की पुनर्वास मनोवैज्ञानिक डाॅ. कृति भारती के संबल से जोधपुर के पारिवारिक न्यायालय संख्या-1 में बाल विवाह निरस्त करने की गुहार लगाई थी। इस पर पारिवारिक न्यायालय संख्या-1 की न्यायाधीश रेखा भार्गव ने 14 साल पहले हुए बाल विवाह को निरस्त करने फैसला सुनाया।
जैसे ही कोर्ट ने बाल विवाह निरस्त का फैसला सुनाया तो खुशी के चलते सरिता और उसकी विधवा मां भावुक हो गए और उनकी आखों से आंसू धारा बहने लगी। यही नहीं, बाल विवाह के कारण सरिता ने कुछ साल पहले मानसिक तनाव के कारण से पढाई बंद कर दी। लेकिन फैसला आने के बाद सरिता का कहना है कि वह अब फिर से अपनी पढाई शुरू करेगी और मां का नाम रोशन करेगी।
सारथी ट्रस्ट निरस्त में सिरमौर
गौरतलब है कि बाल विवाह निरस्त की अनूठी मुहिम में जुटे सारथी ट्रस्ट ने अब तक 34 जोड़ों के बाल विवाह निरस्त करवाए हैं। देश का पहला बाल विवाह निरस्त करवाने और 2015 में तीन दिन में दो बाल विवाह निरस्त करवाने पर डाॅ. कृति भारती का नाम वल्र्ड रिकाॅड्र्स इंडिया और लिम्का बुक आॅफ वल्र्ड रिकाॅर्ड सहित कई रिकाॅर्ड्स में दर्ज है। सीबीएसई ने भी कक्षा 11 के पाठ्यक्रम में सारथी की मुहिम को शामिल किया था। सारथी ट्रस्ट को इस अनूठी मुहिम के लिए राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर कई सम्मान से नवाजा जा चुका है।
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