झुंझुनूं। गांधी विचारधारा के सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने किसानों के मुद्दे पर मोदी सरकार पर हमला करते हुए कहा कि मोदी सरकार देश की पहली ऐसी सरकार है जिसे किसानों की नहीं, उद्योगपतियों की चिंता है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
ये बात अन्ना हजारे ने शुक्रवार को झुंझुनूं में शहीद स्मारक में जनसंसद को संबोधित करते हुए कही। अन्ना हजारे ने मोदी सरकार को घेरते हुए कहा कि उद्योगपतियों के कर्ज माफ हो सकते हैं तो देश का उत्पादन बढ़ाने वाले किसान का कर्ज माफ क्यों नहीं हो सकता। किसान को लागत का पूरा मूल्य नहीं मिलने से वह कर्ज में डूबा रहा है। मोदी सरकार देश की पहली ऐसी सरकार है जिसे किसानों की नहीं, उद्योगपतियों की गहरी
चिंता है।
उन्होंने कहा कि सरकार की गलत नीति के चलते देश में 22 साल में 12 लाख किसानों ने
आत्महत्या की, लेकिन एक भी उद्योगपति ने कर्ज की वजह से जान दी है तो
बताएं। अन्ना हजारे ने करीब 35 मिनट तक जनसंसद को संबोधित किया। अन्ना हजारे ने तिरंगा लहरा कर लोगों को भ्रष्टाचार मिटाने का संदेश भी दिया।
मोदी-राहुल के दिमाग में इंडस्ट्री है किसान नहीं
अन्ना ने कहा कि सरकार की आयात-निर्यात नीति सही नहीं है। स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू नहीं की गई है। हर राज्य में कृषि मूल्य आयोग बना हुआ है, यह केंद्रीय आयोग को रिपोर्ट भेजते समय किसान के फायदे की बात नहीं लिखता। राज्य कृषि मूल्य आयोग की ओर से भेजी गई रिपोर्ट में केंद्रीय कृषि मूल्य आयोग 40 से 50 फीसदी कटौती करने से किसान को उसकी फसल का पूरा लाभ नहीं मिलता। अन्ना हजारे ने कहा साढ़े तीन साल पहले लोगों ने उनसे पूछा था कि मोदी-राहुल में से कौनसा सही रहेगा तो मैंने कहा था कि दोनों ही नेताओं के दिमाग में इंडस्ट्री है किसान नहीं। जब तक दिमाग में किसान नहीं आएगा, देश का भला नहीं हो सकता। साठ साल पूरे करने वाले किसान को पांच हजार रुपए पेंशन मिलनी चाहिए। किसानों की मांगों को लेकर 23 मार्च से दिल्ली के रामलीला मैदान में अनशन शुरू करेंगे।
उनका आंदोलन गैर
राजनीतिक, अब कोई नया केजरीवाल नहीं
अन्ना ने कहा कि उनका आंदोलन गैर
राजनीतिक है। यह व्यवस्था परिवर्तन के लिए है। उन्होंने कहा कि उनकी
केजरीवाल से कोई बातचीत नहीं होती। उनका फोन भी आता है तो वह अटेंड नहीं
करते। उन्होंने कहा कि उनके आंदोलन से अब कोई नया केजरीवाल पैदा नहीं होगा।
इसके लिए वे साथ रहने वाले कार्यकर्ता से 100 रुपए के स्टांप पर लिखित में
लेते हैं कि वह चुनाव नहीं लड़ेगा।
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