जैसलमेर। पश्चिमी राजस्थान में डोडा पोस्त और अफीम नशा करने वालों की तादाद काफी ज्यादा है। हालांकि प्रदेश में इन पर रोक लग गई है, लेकिन इसके नशेडी आज भी इलाज के लिए तरस रहे हैं। सरकार की तरफ से नशा मुक्ति के कैंप भी लगवाए जा रहे हैं, किन्तु बिना फॉलोअप के वहां भी लाभ नहीं मिल पा रहा है। इसी बीच जैसलमेर की एक संस्था जो कि गोडावण संरक्षण के क्षेत्र में कार्य कर रही है, उसने इन नशेडिय़ों की हालत देखकर इनके लिए अमेरिका के एक डॉक्टर की व्यवस्था की है जो कि हफ्ते में तीन दिन इन नशेडिय़ों की समस्याओं को सुनते हैं और वहीं से इनके इलाज के लिए भी दवाइयां लिखते हैं।
ये संभव हो पाया है गोडावण संरक्षण संस्था के मालसिंह के प्रयासों से। माल सिंह ने बताया की यहां पर नशेडिय़ों की हालत देखकर उन्हें ये दिमाग में आया की क्यों ना इनको बेहतर इलाज दिया जाए। इसके लिए मैंने जालोर जिले के डॉक्टर दिलीप करण राठोड से संपर्क किया जो अमेरिका में डॉक्टर हैं और यहां उनसे भेंट हुई थी। उन्होंने मेरी बात पर गौर करते हुए नशे के आदि लोगों के इलाज की हामी भरी। मालसिंह ने बताया की अमेरिका में निवास कर रहे एमडी मनोचिकित्सक डॉ राठोड इन्टरनेट के माध्यम से स्काइप विडियो कालिंग व कॉन्फ्रेसिंग कोंफ्रेंसिंग के जरिए मरीजों से समस्या पूछते हैं और उन्हें उचित परामर्श व दवाइयां देते हैं। अब तक जिले के करीब 203 तलबगारों को नशामुक्ति के लिए परामर्श व दवाइयों का वितरण किया गया है। जिसमे 67 व्यक्तियों ने पूर्ण रूप से नशा छोड़ दिया है।
यहां ऑनलाइन डॉक्टर से लाभ ले रहे मरीज़ बहुत खुश हैं। नेश की आदत से पीडि़त सत्तार का कहना है की मैं नशा करता था और नशा छोडऩे के लिए मैंने सरकारी शिविर में भी गया था, लेकिन मुझे कोई लाभ नहीं मिला। इस संस्था के द्वारा मेरा इलाज अमेरिका के डॉक्टर से चल रहा है और मैं अब पहले की अपेक्षा बहुत सही हो रहा हूं। वहीं यहा एक और ऐसे व्यक्ति से मुलाक़ात हुई जो नशा करता था मगर इस डॉक्टर के इलाज से आज उन्होंने नशा भी छोड़ दिया है। ग्रामीण सज्जन सिंह ने बताया की इस मामले में जिगर और इमान होना चाहिए की मैं अब नशा नहीं करूंगा तब जाकर ही नशे की तलब छूटती है।
नशेबाजों का इलाज कर रहे डॉक्टर दिलीप करण सिंह का कहना है की वो विगत कई सालों से अमेरिका में मनोचिकित्सक हैं और वहां अपना पेशा कर रहे हैं। यहां के हालत जब देखे सुने तब यही मन में विचार आया की मैं अपने देश के लोगों में फैली नशे की आदत को दूर करने में कोशिश जरूर करूंगा। मेरी मुलाक़ात मालसिंह से भारत भ्रमण के दौरान हुई और हमने अब ये तय किया है कि मैं हर शुक्रवार शनिवार और रविवार हफ्ते के तीन दिन इन मरीजों को ऑनलाइन परामर्श दूंगा व इनका इलाज करूंगा। ये मेरा सौभाग्य है की मैं अब तक 67 तलबगारों का नशा छुडवाने में कामयाब रहा। जैसलमेर में इस तरह का ये पहला प्रयास है जब एक जीव संरक्षण से जुडी संस्था इस तरह का नेक काम भी कर रही है और सफलता पूर्वक लोगों को नशे की आदत से दूर कर रही है।
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