जयपुर। ब्रेनट्यूमर और दिमाग की जटिल सर्जरी अब माइक्रोस्कोप से सटीक कारगर साबित होगी। जबकि आमतौर पर ब्रेन को खोलकर ऑपरेशन किया जाता है। इसमें मौत का खतरा अधिक रहता है। साथ ही मरीज के कोमा में जाने का खतरा भी अधिक रहता है। जबकि माइक्रोस्कोप से सर्जरी में मृत्यु दर कम होगी और कोमा में जाने की स्थिति भी नहीं रहेगी। यह जानकारी देश-विदेश से आए डाॅक्टर्स ने न्यूरो क्रिटिकल केयर वर्कशाप में ब्रेन संबंधी रोगों पर मंथन के दौरान दी। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
नेपाल के जाने-माने न्यूरोसर्जन डाॅ. आइपे चेरियन ने माइक्रोस्कोप से ब्रेन की सर्जरी के बारे में जानकारी दी। वे शनिवार को शुरू हुई दो दिवसीय न्यूरो क्रिटिकल केयर अपडेट वर्कशाप में बोल रहे थे। एडवांस न्यूरोलॉजी एवं सुपरस्पेशलिस्ट हाॅस्पिटल की ओर से हुई इस वर्कशाॅप के आयोजक डॉ. सुनीत शाह ने बताया कि शनिवार को विभिन्नता सत्रों में ब्रेन स्ट्रोक, मिर्गी, ब्रेन ट्यूमर, दिमागी चोट आदि पर मंथन हुआ।
विशेषज्ञों ने बताया कि धूम्रपान, शराब सेवन और लाइफ स्टाइल पर ध्यान दें
तो ब्रेन संबंधी बीमारियों पर काफी हद तक काबू पाया जा सकता है।
वर्कशाप में मुंबई हाॅस्पिटल के डाॅ. बीएस सिंघल, नेपाल से डाॅ. आइप चेरियन, लखनऊ के डाॅ. यूके मिश्रा, दिल्ली के डाॅ. एमएम मेहंदीरत्ता, बैंगलोर के डाॅ. राधाकृष्णन, जयपुर के सीनियर न्यूरोसर्जन एवं वर्कशाप के साइंटिफिक कमेटी के सदस्य डाॅ. केके बंसल, डाॅ. भावना शर्मा, डाॅ. एसपी पाटीदार आदि ने भी नई तकनीकों पर व्याख्यान दिया।
डॉ.चेरियन ने कहा कि नई तकनीक वाली सिस्टरनोस्टोमी सर्जरी सबसे सटीक और कारगर है। इसमें ऑपरेशन के बाद ब्रेन का प्रेशर भी नीचे जाता है, जिससे मरीज को अनावश्यक दबाव नहीं होता है। साथ ही सर्जरी के बाद मरीज को होने वाली जटिलताएं भी ना के बराबर रह जाती हैं। इसके लिए काफी अनुभवी सर्जन होना चाहिए। इसमें माइक्रोस्कोप का उपयोग होने से ब्रेन को गहराई से देखा जा सकता है। इससे वास्तविक स्थिति मालूम पड़ जाती है। वहीं कम चीर-फाड़ से रिकवरी भी जल्दी हो जाती है।
अमेरिका के डाॅ. जूलियो चालेला ने कहा कि आईसीयू यूं तो मरीज की जान बचाने की सबसे अहम इकाई है, मगर कई बार जरा-सी चूक ठीक होने के बाद भी जानलेवा हो सकती है। आईसीयू में लंबा समय बिताने के बाद ठीक होने पर भी मरीज की पोस्ट इंटेसिव केयर नहीं हो तो जान जा सकती है।
पद्मश्री डॉ. अशोक पनगड़िया ने कहा कि एेसे आयोजन न्यूरोसाइंस के विकास और इससे जुड़े डाॅक्टरों को अपडेट करने का अच्छा माध्यम है।
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