जयपुर। शिक्षा राज्य मंत्री वासुदेव देवनानी ने स्पष्ट किया है वे सभी जनप्रतिनिधियों, शिक्षकों एवं कार्मिकों को समान भाव से देखते हैं।
इस संबंध में कतिपय स्तरों पर जो भ्रम फैलाने के प्रयास किए जा रहे हैं, वे निराधार हैं। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधियों से आवेदन प्राप्त करना सतत
प्रक्रिया है, उन्हें कोई भी जनप्रतिनिधि आवेदन, परिवेदनाएं भिजवा सकते
हैं। विभाग में इस समय स्थानांतरणों पर रोक है। स्थानांतरणों पर रोक जब
खुलेगी तब नियमानुसार, विधिसम्मत सभी जनप्रतिनिधियों, शिक्षकों एवं विभाग
के कार्मिकों द्वारा स्थानांतरण के लिए भेजी जाने वाली परिवेदनाओं,
आवेदनों पर यथोचित कार्रवाई होगी।
उन्होंने
स्पष्ट किया कि शिक्षा विभाग में पिछले तीन वर्षों में बिना किसी भेदभाव
के शिक्षा क्षेत्र में राजस्थान को आगे बढ़ाने के प्रयास किए गए हैं। हरेक
ग्राम पंचायत में एक सीनियर सैकेंडरी विद्यालय बिना भेदभाव के
खोला गया है तो विभाग में पहली बार शिक्षकों की नवीन नियुक्तियां एवं
पदोन्नति के संबंध में पारदर्शिता की प्रक्रिया अपनाते हुए काउंसिलिंग से
पदस्थापन की प्रक्रिया को अपनाया गया है। इसी तरह असाध्य रोगों के अंतर्गत
भी बगैर किसी भेदभाव के स्थानांतरण परिवेदनाओं पर विचार करते हुए कार्य
किया गया है। प्रदेश में वृहद स्तर पर विद्यालयों का क्रमोन्नयन का कार्य
भी बिना किसी भेदभाव के किया गया है।
देवनानी
ने कहा कि चूंकि सभी जनप्रतिनिधि अपने-अपने क्षेत्र में जनसुनवाई करते
हैं। सामान्यतया उन्हें स्थानीय शिक्षकों, कार्मिकों के स्थानांतरण के
आवेदन, परिवेदनाएं भी प्राप्त होती हैं। जनप्रतिनिधि, शिक्षक, कार्मिक
यदि उचित समझें तो अपनी परिवेदनाएं और स्थानांतरण आवेदन उन्हें अपने निवास
पर जनसुनवाई के दौरान दे सकते हैं। जब भी स्थानांतणों से रोक हटेगी, बगैर
किसी भेदभाव के उन पर नियमानुसार, विधिसम्मत यथोचित कार्रवाई की जाएगी।
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