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जयपुर। उच्च शिक्षा विभाग की ओर से उच्च शिक्षण संस्थाओं में छात्रसंघ चुनाव के लिए बीते दिनों बदले गए नियम पर रविवार को राजस्थान विवि में सिंडीकेट ने मुहर लगा दी। ये लागू होने के साथ ही अब एनएसयूआई की ओर से सालभर से चली आ रही तैयारियों को तगड़ा झटका लगा है। विवि सिंडीकेट ने उच्च शिक्षा विभाग के उस निर्णय को लागू कर दिया जो किसी दूसरी विवि से स्नातक की डिग्री लेने के बाद राजस्थान विवि में लॉ कॉलेज या स्नातकोत्तर में दाखिला लेकर चुनाव लड़ने जा रहे थे। सिंडीकेट का ताजा निर्णय ऐसे सभी छात्रनेताओं को अध्यक्ष और महासचिव पद पर चुनाव लड़ने से रोक देगा। राजस्थान विश्वविद्यालय में चुनावी चैसर चरम पर है। लेकिन इस चैसर को ठीक से बिछाने में सर्वाधिक दिक्कतें टिकट वितरण को लेकर आ रही है। खासकर नए नियमों के बाद अब एनएसयूआई की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
दूसरी तरफ एबीवीपी में बगावत की संभावनाओं को बल मिलने लगा है। बताया जा रहा है कि संगठन ने अपनी तरफ से तीन दावेदारों में से एक उम्मीदवार का नाम करीब-करीब तय कर लिया है। ऐसे में दो अन्य दावेदारों ने अंदरखाने बाहें चढ़ा ली है। अब संगठन के भीतर एक जाति विशेष के उम्मीदवार को महासचिव के पद पर चुनाव लड़ाने की तैयारी की जा रही है। बताया तो यहां तक जा रहा है कि टिकट नहीं मिलने के कारण तीन में से अध्यक्ष पद के टिकट पर दावेदारी जताने वाले दो छात्रनेता बगावत करने की फिराक में है। हालांकि दोनों ही ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं, लेकिन एनएसयूआई की ओर से उनसे संपर्क किये जाने की चर्चा जोरों पर है। यह समीकरण भी एबीवीपी के खिलाफ है
विवि के छात्रसंघ चुनाव में बारीकी से समझ रखने वाले कुछ पुराने छात्रनेताओं की मानें तो उच्च शिक्षा विभाग द्वारा 16 अगस्त को जारी दिशा-निर्देशों को यथावत रखा है तो जहां एनएसयूआई को काफी परेशानी होगी। वहीं एबीवीपी का चुनावी समीकरण भी बिगड़ जाएगा। चूंकि वर्तमान में दोनों संगठनों के पास अपेक्स अध्यक्ष पद के लिए तीन-तीन दावेदार प्रमुखता से सामने आ रहे हैं, किंतु एनएसयूआई के दावेदार इस नए नियम में फंसकर बाहर हो जाएंगे। ऐसे मेें इसका फायदा उठाने के लिए एबीवीपी को भी मश्क्कत करनी होगी। वहीं एनएसयूआई को किसी बाहरी उम्मीदवार पर दांव खेलना पड़ सकता है।
यदि एनएसयूआई में अपेक्स अध्यक्ष पद पर टिकट के दावेदार नियमों के चलते दौड़ से बाहर होते हैं, तो फिर संगठन किसी बाहरी को टिकट देकर मैदान में आ सकता है। दूसरी तरफ एबीवीपी द्वारा अध्यक्ष पद पर टिकट फाइनल करते ही बगावत होने की संभावना बढ़ जाएगी। बताया जा रहा है कि एबीवीपी जिन दो कंडीडेट्स को टिकट के लिए टिकट नहीं देने की फिराक में है, वो दोनों बगावत कर सकते हैं। ऐसे में अपेक्स अध्यक्ष पद पर विवि का जातीय आधार को देखा जाए तो एनएसयूआई फायदे में रहेगी।
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