जयपुर । नेट-थियेट कार्यक्रमों की श्रृंखला में मदर्स डे के उपलक्ष्य में मॉं-कविता एक अहसास की पर राजस्थान की जानी-मानी शायरात और कवयित्रियों ने अपने मधुर कण्ठों से शब्दों को ऐसा जाल बुना की मॉं के अपनेपन, प्यार और ममत्व की बेमिसाल मूरत को पेश कर मॉं के दुलार को जीवंत किया। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
नेट-थियेट के राजेन्द्र शर्मा राजू ने बताया कि कार्यक्रम की निज़ामत करते हुये शायरा शोभा चन्दर पारीक ने आंखों से जो ममता के ऑचल पे गिरा पानी, फिर जप्त किए पर भी रोके ना रुके पानी कुछ सुरखियॉं ऑखों में आई जो जमाने की, बहता ही रहा पानी सुनाकर मॉ के ऑचल का अहसास करवाया। इसके बाद शायरा ज़ीनत कैफ़ी ने तन्हां है अकेली परदेस की बेटी, एकमॉ ने जानमाज़ रातें गुज़ार दी, बेटी का हौसला भी कहीं दूर ना जाये, अल्लाह ने दुआ सारी जमीं पर उतार दी सुनाई। डा. योगिता ज़ीनत ने कोई भी दर्द हो, ग़म हो या चेहरे पर शिकन कोई...वो पढ लेती मुझको जैसे कोई आइना है मॉं पढी तो दर्शक वाह-वाह कर उठे। कवयित्री रेणू जुनेजा ने मॉ को मै हरदम अपने साये में पाती हॅूं, मॉं को कहॉं खुद से अलग कर पाती हॅूू से सांझ को ममतामयी बना दिया। माला रोहित कृष्ण नंदन ने अपने मधुर कण्ठ से मै तपती धूप में हॅू मॉ मुझे ऑंचल तेरा देदे, ये मौसम अब ना बदलेगा, मुझे सावन मेरा देदे मॉं। शायरात और कवयित्रियों ने अपनी अन्य नज़्मों और अशरारों से मॉं की महिमा का बखान किया।
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