जयपुर। कई वर्षों के बाद इस बार पूर्ण नवरात्र का संयोग बन रहा है। इसका मतलब है एक दिन में एक ही तिथि का होना। पिछले कई सालों से ऐसा होता आ रहा था कि दोपहर तक एक तिथि होती थी तो दोपहर बाद दूसरी तिथि शुरू हो जाती थी। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
इस नवरात्र पूरे नौ दिन तक किसी भी दिन दो तिथि नहीं होने से हर दिन अलग-अलग देवियों की पूजा की जा सकेगी। 21 सितंबर से शुरू होने वाला नवरात्र पर्व महासंयोग लेकर आ रहा है। मां जगदंबा पालकी में बैठकर आएंगी और पालकी में ही बैठकर वापस जाएंगी। यह संयोग शुभ फलदायी साबित होगा।
हस्त नक्षत्र से शुरू हो रही नवरात्र
पं. राजकुमार चतुर्वेदी के अनुसार नवरात्र के पहले दिन माता का आगमन जनजीवन के लिए हर प्रकार की सिद्धि देने वाला है। गुरुवार को हस्त नक्षत्र में घट स्थापना के साथ शक्ति उपासना का पर्वकाल शुरू होगा। गुरुवार के दिन हस्त नक्षत्र में यदि देवी आराधना का पर्व शुरू हो, तो यह देवी कृपा और ईष्ट साधना के लिए विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
किस दिन किस वाहन पर सवार होकर आती हैं माता
पं अक्षय शास्त्री ने बताया कि देवी भागवत के अनुसार नवरात्र का प्रारंभ और समापन जिस दिन होता है उस वार तक माता अलग-अलग वाहन पर सवार होकर आती हैं।
आगमन का वाहन : रविवार व सोमवार को हाथी, शनिवार व मंगलवार को घोड़ा, गुरुवार व शुक्रवार को पालकी, बुधवार को नौका आगमन।
प्रस्थान का वाहन : रविवार व सोमवार को भैंसा, शनिवार व मंगलवार को सिंह, बुधवार व शुक्रवार को हाथी, गुरुवार को नर वाहन।
इस मुहूर्त में की अगर घट स्थापना तो हो जाएंगे पौ बारह पच्चीस
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