सुधीर कुमार शर्मा ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
जयपुर। रक्षाबंधन के दिन बहनें अपने भाई को राखी बांधने तक उपवास करती हैं। भाई को राखी बांधने की खुशी में बहनें अलसुबह से ही तैयारी में जुट जाती हैं। प्रातः काल उठकर नए वस्त्र धारण करने, राखी की थाली तैयार करने, थाली में जरूरत की प्रत्येक सामग्री जैसे राखी, कुमकुम, हल्दी, अक्षत और मिष्ठान सजाने में जुट जाती हैं। लोगों का मानना है कि जब बहनें भाइयों के लिए व्रत करती हैं तो भाइयों को भी बहनों के लिए व्रत करना रखना चाहिए, लेकिन शास्त्रों में कहीं भी ऐसा करना जरूरी नहीं बताया गया है।
ज्योतिषाचार्य पं. पुरुषोत्तम गौड़ के अनुसार रक्षाबंधन के दिन राखी बांधने की पूरी प्रक्रिया के दौरान सिर्फ बहन को ही व्रत करना जरूरी होता है। बहन अपना व्रत भाई को राखी बांधने के बाद ही खोलती है। सबसे पहले बहनें भाई के तिलक लगाती हैं। उसके बाद भाई की आरती उतारती हैं। बाद में बहनें अपने भाई की दाहिनी कलाई पर राखी बांधकर भाई को मिठाई खिलाती हैं और भाई अपनी बहन की सुरक्षा और खुशी का वचन लेते हैं।
इस दौरान नहीं बांधी जाए राखी
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