जयपुर। जयपुराइट्स एक से बढ़कर एक नायाब हैंडलूम उत्पादों को देख उनकी तारीफ करते नहीं थक रहे हैं। लोगों तरह-तरह के हैंडलूम उत्पादों की जानकारी लेकर अपनी जिज्ञासा शांत कर रहे हैं। यह सब कुछ देखने को मिल रहा है अमरूदों के बाग में चल रहे नेशनल हैंडलूम एक्सपो में। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
हैंडलूम एक्सपो में ढाई लाख रुपए का गलीचा जयपुराइट्स को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। यहां 500 रुपए से लेकर ढाई लाख तक के एक से एक नायाब कालीन बिक्री के लिए प्रदर्शित किए गए हैं। नेशनल हैंडलूम एक्सपो में देशभर की बुनकर समितियों द्वारा एक से बढ़कर एक हैंडलूम उत्पाद प्रदर्शित किए गए हैं।
यूपी से आए भदोही हैंडलूम समिति के असलम ने बताया कि कालीन की प्राचीनतम परसियन परंपरा आज भी हिन्दुस्तान में सजीव है और राजस्थान में जयपुर और यूपी के भदोही सहित बहुत से स्थानों पर कालीन का काम हो रहा है। कालीन परंपरा की जानकारी देते हुए बताया कि वायलेंस वीविंग और हैंडनॉट वीविंग का काम काफी मुश्किल और मेहनतभरा होता है। प्रतिवर्ग इंच काम में 6500 तक नॉट लगे होते हैं। कश्मीरी, बीकानेरी, मेरिनो, तिब्बती भदोही वूल के साथ ही सूमी वूलन, कश्मीरी सिल्क के साथ ही अब एक्रेलिक और प्लास्टिक बेस कारपेट भी बनने लगी हैं। इसके अलावा अब मशीनों से भी तैयार कारपेट बाजार में आने लगी हैं, जो सस्ते होने के साथ ही गुणवत्ता में भी खरी नहीं होते।
असलम ने बताया कि पर्सीयन, मॉडर्न, जियोमेटिरिकल, इंबोज बरजास्ता, डबल पलईवूल और हार्टवीट्स डिजाइन के कारपेट बनाए जाते हैं। उन्होंने कहा कि आज भी मुगल डिजाइन के कारपेट की अलग ही पहचान है। एक्सपों में विभिन्न साइजों व डिजाइनों और गुणवत्ता की चार-पांच स्टॉले होने से प्रतिस्पर्धा भी बनी हुई है।
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