जयपुर। राजस्थान सरकार के बजट से निराश-हताश हो चुके वकील समुदाय ने अब धरना-प्रदर्शन की चेतावनी दे दी है। राजस्थान सरकार ने इस बजट में भी अधिवक्ताओं की मांगों पर ध्यान नहीं दिया है। जबकि इस संबंध में राज्यभर के अधिवक्ता, बार एसोसिएशन, बार काउन्सिल व कांग्रेस का विधि व मानवाधिकार विभाग लगातार सरकार से मांग करता आ रहा है कि न्याय व्यवस्था को बेहतरीन बनाने के लिए आवश्यक है कि अधिवक्ताओं की समस्याओं का समाधान किया जाए। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
यह बात राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के विधि व मानवाधिकार विभाग के प्रदेशाध्यक्ष सुशील शर्मा ने रविवार को कांग्रेस मुख्यालय पर मीडिया को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने राज्य के अधिवक्ताओं की मांगों को घोषित वित्तीय बजट राजस्थान सरकार 2018 में शामिल नहीं किए जाने पर मुख्यमंत्री के नाम दिए गए ज्ञापन के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से ने वकीलों की मांगों के संबंध में सकारात्मक रुख नहीं अपनाया तो विभाग द्वारा विरोध-प्रदर्शन किया जाएगा।
राजस्थान बजट से निराश वकील समुदाय में है आक्रोश : सुशील शर्मा
ये हैं वकीलों की मांगें-
-राजस्थान एडवोकेट वेलफेयर फंड में राज्य सरकार 20 करोड़ का आर्थिक योगदान करे, जिससे अधिवक्ता की मृत्यु पर 2.50 लाख से बढ़ाकर 5 लाख तथा गंभीर बीमारी की स्थिति में मिलने वाली सहायता राशि 1 लाख से बढ़ाकर 2.50 लाख रुपए किया जाए।
-पिछली कांग्रेस सरकार ने 11 करोड़ रुपए बार काउंसिल के वेलफेयर फंड व सभी अदालतों में अधिवक्ताओं को लाइब्रेरी के लिए वित्तीय योगदान दिया और जयपुर व जोधपुर में अधिवक्ताओं को गेस्ट हाउस के लिए मुफ्त में भूमि आवंटित की एवं निर्माण के लिए एक-एक करोड़ रुपया अलग से दिया गया, जबकि जयपुर में ज्योति नगर प्राइम लोकेशन में जगह दी गई, जिसकी कीमत करीब 10 करोड़ रुपए है, वहां गेस्ट हाउस बनकर तैयार हो गया है।
- राजस्थान राज्य उपभोक्ता मंचों के जिलाध्यक्षों के 50 प्रतिशत पदों पर अधिवक्ताओं को नियुक्त किया जाए। पिछली कांग्रेस सरकार में 5 अधिवक्ताओं को अध्यक्ष पद पर नियुक्त कर इसकी शुरुआत की गई थी, जिसे अनवरत रखा जाए।
-राजस्थान में राजस्व न्यायालयों में प्रशानिक सुधार किए जाएं और राजस्थान राज्य राजस्व न्यायिक सेवा का गठन किया जाए। अभी तक प्रशासनिक अधिकारियों को ही राजस्व न्यायालयों में पदों पर लगाया जाता है, जबकि उनको कानूनी ज्ञान का अभाव रहता है। इसलिए अधिवक्ताओं में से चयनित कर राजस्व न्यायालयों, एसडीएम कोर्ट, राजस्व अपलेट अथॉरिटी तथा रेवेन्यू बोर्ड में अधिवक्ताओं को नियुक्त किया जाए, जिससे कानूनी ज्ञान रखने वाले लोग ही कानून का कार्य कर सकें।
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