जयपुर । भाजपा विधायक दीप्ति किरण माहेश्वरी ने विधानसभा
में वीरांगनाओं पर अमर्यादित टिप्पणी के लिए कांग्रेस सरकार की कटु निंदा करते हुए
कहा कि बलिदानों की धरती राजस्थान के लिए यह अत्यंत कालिमा पूर्ण समय है। नाता
प्रथा राजस्थान में एक सामान्य रूप से स्वीकार एवं बहु प्रचलित प्रथा है। नाता
प्रथा कोई अपराध नहीं है। नाता प्रथा को लेकर वीरांगनाओं के चरित्र पर अंगुली
उठाना अत्यंत अमर्यादित आचरण है।विधायक दीप्ति किरण माहेश्वरी ने मांग की है
कि यदि शहीद जवानों की पत्नी अपने पुत्र के स्थान पर जवान के भाई या बहन के लिए
सरकारी नौकरी की मांग करती है तो इसे स्वीकार किया जाना चाहिए। राज्य सरकार शहीद
जवान के किसी एक परिजन को सरकारी नौकरी देती है। शहीद जवानों के लिए सहायता एवं सुविधाएं
देने में उनकी पत्नी व माता-पिता की भावनाओं का ध्यान रखा जाना चाहिए। विधायक दीप्ति किरण माहेश्वरी ने भारतीय
जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और सांसद किरोड़ी लाल मीणा को कांग्रेस सरकार के
मंत्री द्वारा आतंकवादी कहने पर आपत्ति व्यक्त करते हुए कहा कि यह लोकतांत्रिक
शिष्टता के विरुद्ध है। आज कांग्रेस के नेता और मंत्रीगण अहंकार, अभिमान
और स्व-प्रशंसा में इतने लीन हो गए हैं कि उन्हें जनता के सामान्य अभाव अभियोग
सुनना भी अपने कामकाज में अवांछित हस्तक्षेप लगता है। राजस्थान की स्थिति इतनी
गंभीर हो गई है कि कांग्रेस पार्टी के विधायकों को भी अपनी पीड़ा सदन में
सार्वजनिक रूप से व्यक्त करनी पड़ रही है और सरकार के व्यवहार की खुली आलोचना करनी
पड़ रही है।राजसमंद
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विधायक दीप्ति किरण माहेश्वरी ने स्वायत
शासन विभाग की अनुदान मांगों पर टिप्पणी करते हुए राजसमंद में नगर विकास प्रन्यास
बनाने की मांग की। राजसमंद औद्योगिक, खनन और पर्यटन
क्षेत्रों में अपार संभावनाएं रखता है। विगत कुछ वर्षों से राजसमंद शहर का तेजी से
विस्तार हो रहा है। शहर के सुनियोजित और समग्र विकास की एक विशिष्ट संस्था होना आवश्यक
है। राजसमंद शहर नगर विकास न्यास की स्थापना के लिए आवश्यक सभी मानदंडों को पूरा
करता है। राज्य सरकार राजसमंद शहर में नगर विकास प्रन्यास स्थापित करके
अस्त-व्यस्त विकास से उत्पन्न समस्याओं के समाधान के लिए आगे बढ़े।
राजसमंद
के सीमांत गांवों का हो सुनियोजित विकास
विधायक दीप्ति किरण माहेश्वरी ने राजसमंद
शहर के सीमावर्ती एवं सीमांत गांवों के सुनियोजित विकास के लिए समयबद्ध योजना
बनाकर आवश्यक स्वीकृतियां जारी करने की मांग की है। शहर के सीमांत गांवों में भू
उपयोग परिवर्तन एवं आवासीय कॉलोनियों के लिए सरकार विकास शुल्क एवं अन्य शुल्कों
की वसूली करती है। नगर परिषद के बजट में सीमांत गांवों के विकास के लिए भी 15% बजट
रखा जाना चाहिए।
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