जयपुर। स्पोर्ट्स खेलने वालों को अब कंधे, या टखने की चोट से डरने की जरूरत नहीं है। खिलाड़ियों को अब पुरानी चोट से भी डरने की जरूरत नहीं है। उन्हें ठीक करके वापस सही किया जा सकता है। यह जानकारी फीफा से जुड़े अंतरराष्ट्रीय स्पोर्ट्स इंजरी एक्सपर्ट नीदरलैंड के निक वान्डिक ने जयपुर में आर्थोस्कोपिक सर्जन्स की कान्फ्रेंस में दी। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
उन्होंने बताया कि ज्यादातर खिलाड़ी आपरेशन के बाद अपना सौ प्रतिशत इस कारण नहीं दे पाते कि उन्हें पुरानी चोट के उबरने का डर रहता है पर अब ऐसा नहीं है। पुरानी चोट से छुटकारा पाया जा सकता है। निक ने बताया कि अब इंडिया में स्पोर्ट्स इंजरी के ऑपरेशन अत्याधुनिक तकनीकों से होने लगे हैं। इसके बेहतर रिजल्ट आए हैं। खासतौर पर राजस्थान के चिकित्सक इस मामले में बेहतर कार्य कर रहे हैं।
इंडियन आर्थोस्कोपिक सोसायटी IASCON 2017 के आर्गेनाइजिंग सेकेट्री डा. विक्रम शर्मा ने बताया कि पहले दिन सात वर्कशॉप हुई। घुटने की कार्यशाला में डेनमार्क के चिकित्सक डॉ. लार्स ब्लाड ने पाली (नीकेप) उतरने की बीमारी के आधुनिकतम इलाज की तकनीक के बारे में जानकारी दी। हंगरी से आए हेगुडी ने कार्टलिज संबंधित बीमारी के दूरबीन से इलाज की पद्धति से प्रकाश डाला। गुरुवार की कार्यशाला में फोर्टिस एस्कॉर्ट हॉस्पिटल से घुटने की लाइव सर्जरी का प्रसारण किया गया।
अमेरिका से डाक्टर्स ने दिए सवालों के जवाब
इस कार्यशाला में अमेरिका के घुटना व कंधे के विशेषज्ञों ने अपने व्याख्यान दिए। उन्होंने कान्फ्रेंस में मौजूद चिकित्सकों के सवालों के जवाब दिए। पटेलो फिमोरल फाउंडेशन के अध्यक्ष एवं विश्वविख्यात सर्जन फ्लकेलरसन ने अपना व्याख्यान दिया। साथ ही अमेरिका के सर्जन एवं रश आर्थोपेडिक अस्पताल के विशेषज्ञ डा. ब्रायन कॉल ने कंधे के रोटेटर कफ टियर के आधुनिकतम इलाज के बारे में जानकारी दी। भारतीय मूल के अमेरिकी विशेषज्ञ डा. निखिल वर्मा ने व्याख्यान दिया। पहले दिन चार सौ विशेषज्ञों का आदान प्रदान किया।
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