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जयपुर । राजस्थान में इंजीनियरिंग की शिक्षा का बंटाधार हो चुका है, इसलिए इस बार भी सरकारी और निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों की सीटें आधी से ज्यादा खाली रह गई है। प्रदेश में निजी क्षेत्र के कुल 110 इंजीनियरिंग कॉलेज है, जबकि 14 सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज है। इस साल राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय, कोटा की तरफ से रीप ( REAP)-2017 के जरिये इंजीनियरिंग कॉलेज में छात्र-छात्राओं के प्रवेश प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। लेकिन जो निजी और सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेजों में छात्र-छात्राओं के प्रवेश लेने के जो आंकड़े सामने आए है, वह राज्य सरकार की आंखें खोलने के लिए काफी है। इस साल रीप के जरिये निजी क्षेत्र के इंजीनियरिंग कॉलेजों की कुल 43 हजार 446 सीटें भरी जानी थी, लेकिन 15 अगस्त 2017 तक सिर्फ 13 हजार 864 सीटों पर ही छात्र-छात्राओं ने प्रवेश लिया। इसके चलते कुल 29 हजार 612 सीटें निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों की खाली रह गई है। जबकि सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेजों की कुल 5890 सीटों पर प्रवेश होना था, लेकिन सिर्फ 3406 सीटों पर ही छात्र-छात्राओं ने प्रवेश लिया, और 2484 सीटें खाली रह गई।
रीप के संयोजक डॉ. एस. आर कपूर के मुताबिक इस बार आरयूटी ने प्रवेश प्रक्रिया को आधार कार्ड से जोड़ा था, जिससे की सही आंकड़ा सामने आ सके। वहीं उन्होंने बताया कि काउंसलिंग के दौरान छात्र-छात्राओं का इंजीनियरिंग के प्रति रूझान कम देखने को मिला है। कपूर के मुताबिक इंजीनियरिंग में कंप्यूटर साइंस को लेकर छात्र-छात्राओं में ज्यादा रूझान था, लेकिन निजी और सरकारी क्षेत्र के इंजीनियरिंग कॉलेजों में कंप्यूटर साइंस की सीटें सीमित है।
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इसके चलते निजी क्षेत्र की प्राइवेट यूनिवर्सिटी ने अपने यहां धड़ल्ले से कंप्यूटर साइंस में छात्र-छात्राओं का प्रवेश दे दिया है। आपको बता दे कि बीते दिनों जयपुर में एक कार्यक्रम में शिरकत करने आए एआईसीटाई के चेयरमैन प्रो. अनिल सहस्त्रबुद्धे ने भी चिंता जताई थी कि एजुकेशन क्वालिटी और फैसिलिटीज अच्छी नहीं होने की वजह से निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों में सीटे आधी से ज्यादा खाली रह रही है।
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