जयपुर। आर्थोस्कोपिक सर्जन्स की इंटरनेशनल कान्फ्रेंस में दूसरा दिन खिलाड़ियों की सर्जरी करने वाले डाक्टर्स के नाम रहा। भारतीय शटलर साइना नेहवाल के घुटने की सर्जरी करने वाले डॉक्टर दिनशा पार्डियावाला ने कहा कि खिलाड़ियों में ज्यादातर समस्या घुटने की होती है। बैडमिंटन, कुश्ती, किक्रेट में खिलाड़ियों के घुटने, टखने या कंधे में चोट आ जाती है। इसे अब आधुनिक सर्जरी से दूर किया जा सकता है। खिलाड़ी जल्द स्वस्थ्य होकर मैदान में उतर सकता है। कुश्ती के दौरान घुटना क्षतिग्रस्त होने के कारण रेसलर विनेश फोगाट रियो ओलम्पिक नहीं जा सकी। बाद में आपरेशन के बाद वह ठीक हुई। मशहूर खिलाड़ी कपिलदेव भी इस बीमारी से जूझते रहे। उन्हें भी इसका आपरेशन कराना पड़ा था। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
इंडियन आर्थोस्कोपिक सोसायटी IASCON 2017 का शुक्रवार को औपचारिक उद्घाटन हुआ। कान्फ्रेंस के आर्गेनाइजिंग सेकेट्री
डा. विक्रम शर्मा, सोसायटी के अध्यक्ष डा. संजय देसाई. सचिव डा. एस. आरूमुगम, फ्रांस के फ्रेडी एच फू ने दीप प्रज्जवलन किया। अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों की सर्जरी करने वाले डाक्टर फ्रेडी एच फू ने बताया कि खिलाड़ियों की घुटने की सर्जरी में डबल बंडल सर्जरी का उपयोग किया जाने लगा है। इससे खिलाड़ियों के घुटने का सिर्फ वही क्षतिग्रस्त हिस्सा ही ठीक कर दिया जाता है। इसमें तकनीक में पूरा घुटना खोलने की जरूरत नहीं पड़ती। इससे खिलाड़ी जल्द स्वस्थ्य हो जाता है। विदेश में इस तकनीक का ज्यादा उपयोग फुटबाल, बास्केटबाल के खिलाड़ी के घुटने की सर्जरी में किया जाता है।
जयपुर के फोर्टिस हॉस्पिटल से बास्केटबाल के एक खिलाड़ी की लाइव सर्जरी का प्रसारण किया गया। इसे लेकर कान्फ्रेंस में मौजूद डाक्टर्स डा. फ्रेडी एच फू से सवाल जवाब किए। फ्रांस के ही डा. जेन केनी ने हडि्डयों को लंबे समय तक दुरुस्त रखने के तरीके के बारे में बताया गया। डा. जी चूल यू ने बताया कि अगर किसी दुर्घटना में अंगुलियां जल जाए तो उनका बचाव किस तरह किया जाए।
इंटरनेशनल कार्टिलेज सोसायटी के अध्यक्ष डा. जैक फार ने अमेरिका में सेटेलाइट से बताया कि घुटनों में कार्टिलेज (चिकनाई ) खत्म होने पर इलाज के तरीकों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि आर्थराइटिस की पहली स्टेज में इसका इलाज संभव है। ऐसी स्थिति में घुटना प्रत्यारोपण की जरूरत नहीं पड़ती। देश के प्रसिद्ध आर्थोपेडिक्स सर्जन डा. पराग संचेती ने घुटना प्रत्यारोपण में जरूरी सावधानी और इसके फेल होने के कारण बताए।
अब नहीं उतरेगा बार बार कंधा
कान्फ्रेंस में आए जयपुर के डा. कपिल ने बताया कि खिलाडी हो या आम जन कई बार कंधा उतरने की समस्या आ जाती है। छोटे-छोटे काम करते वक्त कंधा उतर जाता है। इसके इलाज के लिए अब अाधुनिकतम तकनीक आ गई है। अब इसके आपरेशन में बोन ट्रांसप्लांट कर दिया जाता है जिससे यह समस्या लगभग समाप्त हो जाती है।
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