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जयपुर। राजस्थान के जाट नेता परसराम मदेरणा की पोती और महिपाल मदेरणा की बेटी दिव्या मदरेणा ने बतौर सियासतदां अपनी पहचान एंग्री यंग पॉलिटिशयन के रूप में बना ली है। राजस्थान विधानसभा में उनके अंदाज-ए-बयां ने तमाम नेताओं का ध्यान उनकी तरफ खींचा। अपनी ही सरकार और स्थानीय निकाय मंत्री शांति धारीवाल पर निशाना साधकर खूब सुर्खियां बंटोरी। मीडिया के साथ सोशल मीडिया पर भी दिव्या मदेरणा खूब सुर्खियां बंटोर रही है।
दिव्या मदेरणा के ट्विटर हैंडल पर सबसे ऊपर उनके दादा परसराम मदेरणा के इंटरव्यू की कटिंग लगी है। इसकी हैडलाइन है :-पथ पर पांव नहीं, विश्वास चला करता है, चुप हूं क्योंकि कांग्रेस का अनुशासित सिपाही हूं। दिव्या मदेरणा ने अपने भाषण में कहा कि मुझे विरासत में यह नहीं मिला है कि मैं गलत में भी हां में हां मिलाऊं। प्रियंका गांधी का जिक्र करते हुए कहा-लड़की हूं लड़ सकती हूं, मैं द्रोपदी नहीं हूं। इसी इंटरव्यू में परसराम मदेरणा के लिए लिखा था कि उन्हें इस बात का गर्व है कि उन्होंने कभी जाति की राजनीति नहीं की। लेकिन दिव्या मदेरणा ने डॉ. किरोड़ीलाल मीणा को आतंकी कहने पर मंत्री शांति धारीवाल को कटघरे खड़ा किया। जाट विरांगना के चरित्र हनन का मुद्दा उठाते हुए अपनी ही सरकार को जाट, गुर्जर और मीणा समाज के कांग्रेस मतदाताओं की दुहाई देते हुए सोशल इंजीनियरिंग का पाठ पढ़ाया।
ओंसिया विधायक दिव्या मदेरणा के शायराना अंदाज-ए-बयां को आमजन और समाज के लोग भी खूब तारीफ कर रहे हैं। उनकी इस बात पर शाबाशी दे रहे हैं कि उन्होंने वीरांगनाओं को रात तीन बजे धरना स्थल से उठाने की कार्रवाई को दुर्व्यवहार बताते हुए कहा कि मेरे क्षेत्र में अगर सड़कें नहीं बनीं तो मैं भी मुंह में घास लेकर धरने पर बैठूंगी, हिम्मत हो तो उठाकर देख लेना। इस मुद्दे पर डॉ. किरोड़ीलाल मीणा ने भी उनका आभार जताया है।
विधानसभा में उनका एंग्री पॉलिटिशियन अंदाज लोगों को और नेताओं को पसंद आ रहा है। उन्होंने अपनी राजनीतिक चतुराई से वीरांगनाओं के मुद्दे पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के मुद्दे व विधायकों के इस्तीफे के मुद्दे पर प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा से सहमति जताई। भाजपा व कांग्रेस के अन्य विधायकों ने भी दिव्या के अंदाज की तारीफ की है। उनकी हर लाइन के सियासी मायने हैं। बहरहाल दिव्या मदेरणा अपने दादा परसराम मदेरणा और पिता महिपाल मदेरणा की तरह ही राजनीति में स्थापित हो रही है।
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