जयपुर। भ्रष्ट नेताओं और अफसरों को बचाने वाले काले कानून की अवधि आज संवैधानिक रूप से स्वत: समाप्त हो जाएगी। सरकार बिल पास नहीं करा पाई, ऐसे में चार दिसंबर को 42 दिन की यह अवधि पूरी होते ही अध्यादेश स्वत: खत्म हो जाएगा। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
भ्रष्ट नेताओं और अफसरों को बचाने वाला यह विवादित बिल राष्ट्रपति की मंजूरी से 6 सितंबर को लागू हुआ था। भारी विरोध के बीच सरकार ने विधानसभा में 23 अक्टूबर को अध्यादेश से संबंधित बिल रखा था। बिल रखे जाने के बाद अध्यादेश की उम्र 42 दिन होती है। सरकार इस अवधि में बिल पास नहीं करा पाई। ऐसे में 4 दिसंबर 2017 को 42 दिन की यह अवधि पूरी हो गई। अब अध्यादेश स्वत: खत्म हो जाएगा।
विवादित कानून के खत्म होने से लोकसेवक, जज या मजिस्ट्रेट के खिलाफ दायर इस्तगासे की पुलिस जांच के लिए सरकार से मंजूरी की आवश्यकता भी नहीं रहेगी। साथ ही ऐसे भ्रष्ट अफसर-नेताओं के नाम उजागर करने पर सजा की पाबंदी भी हट जाएगी।
हालांकि, राज्य सरकार का कहना है कि अध्यादेश खत्म हुआ है, पर बिल अभी बना हुआ है। प्रवर समिति की सिफारिशों के साथ वह आगामी बजट सत्र में दोबारा संशोधित बिल लाएगी। गौरतलब है कि सरकार अभियोजन स्वीकृति की समय सीमा घटाने और नाम उजागर करने पर दो साल की सजा के प्रावधान को हटाने के लिए तैयार हो चुकी है।
Politics At Peak : अमेठी में कांग्रेस नेता सुबह भाजपा में गए, शाम को घर वापसी
वोटिंग ऑफर : अंगुली पर लगी नीली स्याही दिखाकर दो दिन 50 प्रतिशत तक की छूट ले सकेंगे मतदाता
भाजपा उम्मीदवारों को जनता समझती है, वोट की चोट से देगी जवाब : दिग्विजय चौटाला
Daily Horoscope