जयपुर।(करिश्मा वर्मा) राजस्थानी लोक संस्कृति में
लोक वाद्यों का काफ़ी प्रभाव रहा है,प्रदेश के भिन्न-भिन्न अंचलों में वहाँ
की संस्कृति के अनुकूल स्थानीय लोक वाद्य खूब रच बसे है। जिस क्षेत्र में
स्थानीय लोक कला एवं वाद्यों को फलने-फूलने का अवसर मिला है वहाँ के लोक
वाद्यों की धूम देश के कोने-कोने से लेकर विदेशों तक मची है। इन्हीं वाद्य
यंत्रों में एक प्रमुख और सुरीला वाद्य यंत्र है ``सारंगी`` सारंगी
प्राचीन काल में घुमक्कड़ जातियों का वाद्य था। मुस्लिम शासन काल में यह
नृत्य तथा गायन दरबार का प्रमुख वाद्य यंत्र रह चुका है। सारंगी शास्त्रीय
संगीत का भी एक प्रमुख संगत वाद्य है,लेकिन आज यह सबसे सुरीला साज सारंगी
अपनी ही पहचान खोता नजर आ रहा है। इस पर ना तो केन्द्र सरकार की नजर है और
ना ही राज्य सरकार की,सरकारों की अनदेखी के चलते सारंगी वाद्य लुप्त होने
के कगार पर आ चुका है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
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