जयपुर। जैन मंदिरों में शुक्रवार वैशाख शुक्ला तृतीया के मौके पर वर्तमान चैबीसी के प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव (आदिनाथ) स्वामी के प्रथम आहार दिवस मनाया गया। इस दौरान श्रावकों की ओर से भगवान आदिनाथ स्वामी के इच्छु रस से कलशाभिषेक और शांतिधारा की गई। इस मौके पर जनकपुरी में विराजमान गणिनी आर्यिका रत्न गौरवमती माताजी ससंघ सानिध्य में सुबह साढ़े छह बजे से भगवान आदिनाथ स्वामी के इच्छु रस से कलशाभिषेक और शांतिधारा का आयोजन किया गया। गणिनी आर्यिका गौरवमती माताजी ने अक्षय तृतीया के महत्व का वर्णन करते हुए बताया कि इस दिवस का जैन धर्म में उल्लेख करते हुए बताया कि इस दिवस पर जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ स्वामी ने मुनि दीक्षा ग्रहण की। तक से लेकर छह माह तक उपवास की प्रतिज्ञा लेकर ध्यान में लीन हो गए थे और उपवास समाप्ति बाद जब वह निकले, तब मुनियोचित आहार विधि का ज्ञान नहीं होने के कारण कोई भी श्रावक उन्हें आहार नहीं दे पाया। इस प्रकार मुनियोचित आहार ना मिलने पर उन्हें एक वर्ष आठ दिन तक और निराहार रह कर अपना तप करते हुए मोक्ष मार्ग की और प्रसस्थ होते रहे।
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