जयपुर। 'भारतीय इतिहास लेखन, वर्तमान परिदृश्य तथा संभावनाएं' विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी 19 जनवरी को राजस्थान विश्वविद्यालय में आयोजित की जाएगी। इसमें ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
देशभर से 500 से ज्यादा इतिहासकार शिरकत करेंगे।
संगोष्ठी में राजस्थान के लोक संतों, महाराणा प्रताप एवं पद्मावती (पद्मिनी) के इतिहास का पुनरीक्षण किया जाएगा। साथ ही इतिहास लेखन के भविष्य, इतिहास लेखन की वैकल्पिक पद्धतियां, मौखिक परंपरा, वंशावली तथा सामाजिक स्मृति के आधार पर इतिहास लेखन तथा सीमा विहीन नव-इतिहास लेखन पर भी परिचर्चा होगी।
संगोष्ठी का आयोजन राजस्थान विश्वविद्यालय के इतिहास एवं भारतीय संस्कृति विभाग और भारतीय इतिहास संकलन समिति के संयुक्त तत्वावधान में किया जा रहा है। आरयू के इतिहास विभागाध्यक्ष प्रो. केजी शर्मा ने बताया कि संगोष्ठी में भारतीय इतिहास लेखन के साम्राज्यवादी, मार्क्सवादी एवं राष्ट्रवादी इतिहास लेखन, स्त्री परक, उपाश्रयी तथा उत्तर-आधुनिक इतिहास लेखन पर विचार विमर्श किया जाएगा। इसके साथ ही इतिहास लेखन की भारतीय, पाश्चात्य एवं क्षेत्रीय दृष्टियों पर भी चर्चा होगी। संगोष्ठी का उद्घाटन सत्र 19 जनवरी को मानविकी पीठ सभागार में सुबह 10 बजे से होगा, जिसमें बीएचयू के प्रो. सीताराम दुबे वक्तव्य प्रस्तुत करेंगे।
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