जयपुर। 31 अक्टूबर मंगलवार, कार्तिक शुक्ल एकादशी , यानी देवउठनी एकादशी से कार्तिक पूर्णिमा तक भीष्म पंचक रहेंगे। कार्तिक माह के इन अंतिम पांच दिनों का अत्यधिक महत्व है। कार्तिक शुक्ल एकादशी (31 अक्टूबर 2017) को देव उठेंगे, मंदिरों में तुलसी और शालिगरामजी के विवाह के आयोजन होंगे। इसी के साथ मांगलिक कार्य शुरू हो जाएंगे। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
चार मास से सोए भगवान विष्णु ने कार्तिक शुक्ल एकादशी के दिन ही अपनी योग निद्रा त्यागी थी, इसलिए देव प्रबोधनी एकादशी का खास महत्व है। आज के दिन पूजा-अर्चना कर, भोग लगा कर सोये हुए देवों को जगाकर भगवान विष्णु के चल स्वरूप शालिगरामजी एवं तुलसजी का विवाह संपन्न कराया जाता है। मांगलिक कार्यों का शुभारंभ होने के साथ ही इसे अबूझ सावा भी कहते हैं।
4 नवंबर को वैकुंठ चतुर्दशी को ठाकुरजी स्वर्ग जाएंगे। इस दिन मंदिरों में देव दिवाली मनाई जाएगी। इसी के साथ कार्तिक स्नान कर रहीं महिलाओं सहित अन्य श्रद्धालुओं का पूर्णिमा के दिन कार्तिक स्नान पूर्ण होगा।
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