धौलपुर। दुर्घटना शाम चार बजे होने के बावजूद चिकित्सक द्वारा दोपहर एक बजे ही इलाज शुरू कर देने के मामले में धौलपुर जिले के मोटर वाहन दुर्घटना दावा अधिकरण न्यायालय के न्यायाधीश राजेन्द्र कुमार ने पीडि़त पक्ष की ओर से लगाई गई क्लेम याचिका को खारिज करते हुए अनुसंधान अधिकारी एएसआई और इलाज करने वाले चिकित्सक के खिलाफ जांच के आदेश दिए हैं।
मामला यूं है कि राकेश पुत्री देवीराम,यादव सिंह उर्फ जाधव सिंह पुत्र साहब सिंह और सोनी पत्नी राकेश कुशवाह निवासी कलुआपुरा 28 दिसम्बर 2014 को मनियां से मोटरसाइकिल से कलुआपुरा आ रहे थे.इस दौरान फूलपुर रोड पर धर्मकांटे की तरफ से बोलेरो कार के चालक ने लापरवाही पूर्वक गाड़ी चलाकर उन्हें टक्कर मार दी। इससे तीनों घायल हो गए। तीनों को राजकीय सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र मनियां में भर्ती कराया गया.जहां से सभी को धौलपुर जिला चिकित्सालय के लिए रैफर कर दिया गया। इसकी प्राथमिकी यादवसिंह के पिता साहब सिंह ने दर्ज कराई थी। इसमें घटना का समय शाम चार बजे बताया गया था।
घायलों में से यादव सिंह के पैर में फ्रेक्चर होने पर धौलपुर में गुप्ता हड्डी हॉस्पीटल में भर्ती करा दिया गया, जहां उसका ऑपरेशन हुआ। क्लेम के लिए राकेश ने 26 जून 2015 को एसएसीटी कोर्ट में याचिका लगाई गई। जिसमें खुद को दो लाख 85 हजार रुपए,यादव सिंह उर्फ जाधव सिंह को 5 लाख 50 हजार रुपए और सोनी को 3 लाख रुपए का मुआवजा दिलाने की मांग की। इसके लिए यूनाईटेड इण्डिया इंश्योरेंस कम्पनी और वाहन मालिक अमरेश पुत्र राजेन्द्र त्यागी को पार्टी बनाया।
बहस के दौरान निजी हॉस्पीटल के चिकित्सक डॉ.राघवेन्द्र गुप्ता ने बताया कि घायल उनके पास दोपहर एक बजे आया और सिर व जांच में चोट होना बताया। इस पर उन्होंने ऑपरेशन कर बाएं पैर की जांघ में प्लेट डाली। इस दौरान चिकित्सक ने न तो घायल से सरकारी हॉस्पीटल में कराई एमएलआर ली और ना ही एक्सरे शीट। इतना ही नहीं खुद के हॉस्पीटल में किए गए इलाज का रिकॉर्ड भी संधारण नहीं किया और अदालत में उपलब्ध नहीं करा पाए। इसे कोर्ट ने इलाज को संदिग्ध माना। साथ ही मनियां थाने के तत्कालीन एएसआई तथा अनुसंधान अधिकारी द्वारा पेश की गई रिपोर्ट को भी पीडि़त और वाहन चालक के साथ मिलीभगत कर तैयार किया जाना माना।
कोर्ट का मानना था कि जब दुर्घटना ही शाम चार बजे हुई है तो इलाज दोपहर एक बजे कैसे शुरू किया जा सकता है। इस आधार पर कोर्ट ने पीडि़त पक्ष की ओर से लगाई गई याचिका को खारिज कर अनुसंधान अधिकारी निन्नूसिंह और डॉ.राघवेन्द्र गुप्ता के खिलाफ धारा 340 के तहत जांच खोलने के आदेश दिए हैं,साथ ही नोटिस जारी कर तलब किया है। इसके अलावा लिखा है कि क्यों ना उनके विरुद्ध षडय़ंत्र रचने व धारा 193,209 व 463 के तहत कार्रवाई की जाए।
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