जयपुर/दौसा। राजस्थान कृषि प्रधान प्रदेश है, परंतु दुर्भाग्य है कि भाजपा की सरकार बनने के बाद से गत साढ़े तीन वर्षों में किसान व खेती की सबसे ज्यादा दुर्दशा हुई है। प्रकृति के रूठने से बर्बाद हुआ किसान अब भाजपाराज की अनदेखी से आत्मघाती कदम उठा रहा है। राजस्थान में कभी भी किसान इतना मायूस नहीं हुआ जितना इस राज में हुआ है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
ये विचार कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट ने मंगलवार को दौसा जिले की सिकराय तहसील के ग्राम भालपुर, ग्राम पंचायत उदयपुरा, मेहंदीपुर बालाजी में आयोजित किसान सम्मेलन में कही। उन्होंने कहा कि प्रदेश में गेहूं का बंपर उत्पादन होने के बावजूद किसानों की फसल की खरीद सरकारी स्तर पर नहीं होने से किसानों को भारी नुकसान हुआ है। गत वर्ष मूंग व मूंगफली की फसल पर समर्थन मूल्य नहीं मिला और तैयार फसल मंडियों में बाहर पड़ी रहने से बारिश में भीगकर बर्बाद हो गई थी। इस कारण किसान कर्ज में डूब गए। आज भी प्रदेश में तीन साल पहले आई आपदा के प्रभावित 10 लाख किसान सरकारी मुआवजे का इंतजार कर रहे हैं। देश व प्रदेश में भाजपा की सरकार होने के बावजूद किसानों की राहत पहुंचाने के लिए जो मांग प्रदेश की भाजपा सरकार ने रखी थी, उसका 10 प्रतिशत भी स्वीकृत नहीं हुआ है, जो किसानों की दुर्दशा और ज्यादा बढ़ा रहा है। उन्होंने कहा कि किसानों का कर्जा माफ करना तो दूर प्रदेश में फसली ऋण तक समय पर वितरित नहीं किए जा रहे हैं, जिससे किसानों को भारी ब्याज चुकाकर बाजार से ऋण उठाना पड़ रहा है।
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