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सुधरी खेत की मिट्टी और मुस्करा उठे खेत-खलिहान

bhilwara news : Improved in soil of farm And Smiled farm in bhilwara - Bhilwara News in Hindi

जयपुर/भीलवाड़ा। जबसे मृदा स्वास्थ्य परीक्षण और भूमि की सेहत का ख्याल रखते हुए खेती-बाड़ी को सम्बल दिए जाने का दौर शुरू हुआ है तभी से खेत की मिट्टी पहले की अपेक्षा कई गुना उर्वरा होने से अधिक उपज देने लगी है। इस दिशा में सरकार की ओर से मृदा स्वास्थ्य परीक्षण और सॉयल हेल्थ कार्ड की योजना किसानों में लोकप्रिय है और इसके फायदों से अभिभूत होकर किसान अपने खेतों से खलिहान भर रहे हैं और खलिहान किसान परिवारों में खुशहाली भरने लगे हैं।

सॉयल हेल्थ कार्ड बनने के पहले और बाद की स्थिति में किसान काफी बदलाव महसूस करने लगे हैं। किसानों का मानना है कि मृदा स्वास्थ्य परीक्षण के कारण उनके खेतों की मिट्टी के बारे में पूरी वैज्ञानिक जानकारी आम किसानों तक साझा हुई है और इससे उन्हें पक्का पता चल गया है कि उनके खेत की मिट्टी में क्या कमी है और किस तरह उस कमी को पूरा करते हुए कम से कम जमीन में अधिक से अधिक उपज पाई जा सकती है।

मृदा स्वास्थ्य परीक्षण ने किसानों की जिंदगी ही बदल दी है और वे अब अपने खेत के उपयुक्त फसलें लेने तथा खेत की मिट्टी का स्वास्थ्य हमेशा के लिए बरकरार रखने के लिए गंभीरतापूर्वक प्रयासों को अपनाने लगे हैं। राजस्थान में सॉयल हेल्थ कार्ड की अभिनव और बहुद्देश्यीय परंपरा शुरू होने के बाद अब खेतों की दशा सुधरी है और किसानों में जागरूकता का संचार हुआ है। प्रदेश के भीलवाड़ा जिले में भी सॉयल हेल्थ कार्ड योजना का प्रभावी क्रियान्वयन हो रहा है और इसके फलस्वरूप काश्तकारों के खेतों को नया जीवन मिला है। भीलवाड़ा जिले की सहाड़ा पंचायत समिति अंतर्गत गणेशपुरा ग्राम पंचायत के गलोदिया गांव निवासी काश्तकार पन्नालाल-लालूराम शर्मा अब लघु सीमान्त श्रेणी के कृषकों में गिने जाते हैं।

सकारात्मक बदलाव आया

पन्नालाल बताते हैं कि सॉयल हेल्थ कार्ड बनने से पूर्व उचित फसल उत्पादन, सिंचाई, भूमि संबंधी समस्या, उर्वरकता, खाद (डीएपी, यूरिया) आदि के अंधाधुंध प्रयोग से कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता था, लेकिन कृषि विभाग द्वारा मृदा स्वास्थ्य परीक्षण करने के बाद जब से उन्हें सॉयल हेल्थ कार्ड मिला है, तभी से खेती में अत्यधिक लाभ मिलने लगा है।

उत्पादन बढ़ा, आमदनी भी

इस कार्ड से यह अच्छी तरह पता चल गया कि जमीन में किस फसल के लिए कितना खाद डालना है, ऊसर जमीन को कैसे सुधारें। इससे खेत पर होने वाले खर्च में कमी आई है, रासायनिक उर्वरकों का फिजूल खर्च कम हुआ है और फसलों का गुणात्मक एवं संख्यात्मक दृष्टि से बेहतर उत्पादन हो रहा है, जिससे आमदनी भी कई गुना बढ़ गई है।

पढ़ने लगे हैं खेत की कुण्डली

सॉयल हेल्थ कार्ड पाने के बाद काश्तकार पन्नालाल खुद वैज्ञानिक किसानी को सीख चुके हैं और अपने खेतों की मिट्टी की सभी प्रकार की जांचों, मुख्य पोषक तत्वों, जांच के अनुसार खाद व उर्वरकों की सिफारिश, सूक्ष्म पोषक तत्वों, मृदा गुण व पोषक तत्वों के उपयुक्त स्तर, पोषण प्रबंधन, सफेद व काला उसर की पहचान व सुधार, फसलों के चयन आदि सभी बातों के बारे में सही और सटीक समझ बना चुके हैं। पन्नालाल की ही तरह भीलवाड़ा जिले में अनेक किसान हैं जिन्होंने सॉयल हेल्थ कार्ड के जरिये अपने खेतों की तस्वीर बदल कर समृद्धि की डगर पा ली है।

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Web Title-bhilwara news : Improved in soil of farm And Smiled farm in bhilwara
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