भीलवाड़ा। टॉयलेट फिल्म में तो टॉयलेट
बनाने के लिए पति मान जाता है लेकिन वास्तविकता में एक पत्नि ने टॉयलेट नहीं बनाने
पर अपने पति से तलाक ही ले लिया। अदालत ने इसे मानसिक यंत्रणा देने वाला बताते हुए पत्नी के तलाक मांगने को सही मानते हुए दोनों का संबंध विच्छेद कर दिया। जी, हां ऐसा ही एक मामला हुआ भीलवाड़ा शहर में पति से नाराज इस पत्नी ने इसके लिए बाकायदा
न्यायालय में तलाक की अर्जी दी थी जिसे सही मानते हुए न्यायालय ने भी इसे स्त्री की गरिमा
का हनन मानते हुए तलाक मंजूर कर लिया है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
अधिवक्ता राजेश शर्मा ने बताया कि शहरी क्षेत्र की इस महिला ने पति के
खिलाफ तलाक याचिका पारिवारिक न्यायालय में 20 अक्टूबर 15 को पेश की। महिला ने याचिका में बताया कि उसकी शादी 2011 में हुई थी। पति उसे घर में टॉयलेट बनाकर नहीं दे रहा है।
मजबूरन उसे खुले में शौच जाना पड़ रहा है। इससे उसे शर्मिंदगी होती है। न्यायालय ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद पारिवारिक न्यायालय
के न्यायाधीश राजेंद्रकुमार शर्मा ने पति के टॉयलेट नहीं बनाकर देने को पत्नी के
लिए मानसिक कू्ररता और त्रासदीपूर्ण स्थिति मानते हुए महिला के पक्ष में तलाक
याचिका मंजूर कर ली।
न्यायाधीश ने यह की टिप्पणी- प्रार्थिया ने
विवाहित महिला होने के नाते यह मांग की थी कि उसके लिए घर में सोने-उठने-बैठने के
लिए अलग कक्ष होना चाहिए। महिला की ऐसी मांग करना गैर वाजिब नहीं समझा जा सकता।
साथ ही एक महिला होने के नाते प्रार्थिया को यह अधिकार है कि उसकी निजता और
स्त्रीयोचित गरिमा बनी रहे। न्यायाधीश ने आदेश में कहा कि परिवार की आवश्यकता और
महिलाओं के मान-सम्मान के लिए शौचालय अपरिहार्य है। 21 वीं सदी के इस दौर में खुले में शौच की
प्रथा समाज के लिए कलंक है। शराब, तंबाकू, और मोबाइल पर बेहिसाब खर्च करने वाले घरों में शौचालय का ना
होना एक विडंबना है।
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