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ऑडिट रिपोर्ट में खुलासाः राजस्व शाखा ने मैरिज होम की संख्या कम दिखाई, बकाया राशि पर जुर्माना भी नहीं वसूला

Revealed in the audit report: Revenue branch showed less number of marriage homes, did not recover the fine on the outstanding amount - Bharatpur News in Hindi

राजस्व शाखा के प्रभारी हैं कुलदीप फौजदार
मोबाइल टावर और केबल शु्ल्क की वसूली में भी सामने आया घोटाला
भरतपुर। नगर निगम की निजी आय बढ़ाने के लिए जिम्मेदार राजस्व शाखा के अफसर किस तरह निगम को नुकसान पहुंचा रहे हैं, इसका एक और मामला सामने आया है। शहर में चल रहे मैरिज होम और विवाह स्थलों से शुल्क वसूली में तो लापरवाही की ही है। साथ ही रजिस्टर्ड मैरिज होम की संख्या भी बहुत कम की हुई है।
वर्ष 2020 से 2022 तक नगर निगम के खातों की गई ऑडिट जांच रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है। जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि अभी 68 लाख रुपए से ज्यादा की गड़बड़ियां सामने आई हैं। अगर इससे पहले के वर्षों की भी जांच कराई जाती तो वित्तीय अनियमितताएं और भी ज्यादा सामने आतीं। क्योंकि राजस्व शाखा द्वारा जांच के दौरान 6 जुलाई 2002 को मांगने के बावजूद साल 2020 से पहले यानि 2015 से 2017 और 2017 से 2019 का रिकॉर्ड ही उपलब्ध नहीं कराया गया। इस जांच रिपोर्ट पर नगर निगम आयुक्त के भी हस्ताक्षर हैं।
लोकल ऑडिट जांच रिपोर्ट में महापौर और आय़ुक्त को सुझाव दिया गया है कि निगम स्तर पर एक सर्वे करवाकर शहर में चल रहे मैरिज की सूची को अपडेट किया जाए। इसके साथ ही उनसे बकाया राशि की वसूली की जाए। क्योंकि इनसे वसूली नहीं होने के कारण नगर निगम को निजी आय में नुकसान उठाना पड़ता है। इस रिपोर्ट में लोकल ऑडिट ने राजस्व अधिकारी कुलदीप फौजदार को सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराया है।
उल्लेखनीय है कि प्रदेश के अधिकांश नगरीय निकाय गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहे हैं। वित्त आयोग और भारत सरकार लगातार नगरीय निकायों को अपनी निजी आय बढ़ाने के लिए प्रेरित कर रही है। इसके लिए नगरीय निकायों को जीआईएस आधारित ड्रोन मैपिंग पद्धति से नगरीय विकास शुल्क वसूले जाने को भी कहा गया है।
शहर में अवैध रूप से चल रहे मैरिज होम और गार्डनः
लोकल ऑडिट जांच रिपोर्ट के मुताबिक नगर निगम कर्मियों द्वारा शहर में कई मैरिज होम और गार्डन्स को अवैध रूप से चलने दिया जा रहा है। जबकि नगर निगम भरतपुर ( विवाह स्थल पंजीयन) संशोधन उप विधियां 2017 के बिंदु संख्या 16 (ख) के अनुसार स्वीकृत विवाह स्थलों द्वारा हर साल 1 फरवरी से 31 मार्च की अवधि में अगले वित्तीय वर्ष का शुल्क एडवांस जमा करवाना जरूरी है। अगर कोई मैरिज होम अथवा विवाह स्थल संचालक शुल्क जमा नहीं करवाता है तो पहले 3 माह तक कुल देय राशि पर 10 प्रतिशत जुर्माना और उसके बाद 100 रुपए प्रति दिन के हिसाब से विलंब शुल्क वसूले जाने का प्रावधान है। लेकिन, जांच से पता चला कि राजस्व शाखा के कर्मियों ने पिछले सालों की बकाया राशि पर जुर्माना वसूला ही नहीं था।
नगर निगम में रजिस्टर्ड हैं ये विवाह स्थलः
राज गार्डन, मुकुंद विहार रिसोर्ट, स्वयंवर मैरिज होम, शहनाई रिसॉर्ट, राम वाटिका, क्रांतिकुंज रिसोर्ट, होटल सोनार हवेली, गोविंद रिसॉर्ट, कोठी राजविला, महताब विलास, गणपति विलास, चांदनी मैरिज होम, होटल राज पैलेस, आशीर्वाद मैरिज होम, रौनक गार्डन, गिरीश रिसॉर्ट, गोपाल मैरिज होम, चौधरी मैरिज होम, कबीर वाटिका, मधुबन गार्डन मैरिज होम, होटल आदित्य रिसॉर्ट, गायत्री रिसॉर्ट, राज विलास पैलेस, द पार्क रिसॉर्ट, नमन मैरिज होम, कृष्ण मैरिज होम, पृथ्वी प्रताप गार्डन, राधेश्याम होम, ईश्वर वाटिका, विनायक भवन, त्रिमूर्ति गार्डन, पार्श्व वाटिका, होटल प्रताप रेजीडेंसी, लक्ष्मी पैलेस, प्रेम गार्डन, ईगल नेस्ट, चंदन गार्डन, अमन रिसॉर्ट, विद्या मैरिज होम, भारत गेस्ट हाउस, अभिनंदन मैरिज होम, जगन्नाथ मैरिज होम, भीमा रिसॉर्ट, जय शिव मैरिज होम, होटल प्रताप वाटिका, ग्रीन गार्डन, बाबा मैरिज होम, बजाज पैलेस, होटल सेंट्रल गार्डन, सिद्धेश रिसॉर्ट, शहनाई मैरिज होम, मुरली प्लाजा, टीकम गार्डन, मिलन रिसॉर्ट, कृष्णा मैरिज होम और मदन मोहन मैरिज होम। इन सभी मैरिज होम पर वर्ष 2020-22 का 65 लाख 84 हजार 479 रुपए का शुल्क बकाया था।
संबंधित अधिकारी का जवाब आने के बाद नियमानुसार कार्यवाही करेंगेः मेयर
मीडिया के माध्यम से लोकल ऑडिट की जांच रिपोर्ट की जानकारी मिली है। अभी यह जांच का एक पक्ष है। इस रिपोर्ट में जिस अधिकारी को जिम्मेदार बताया गया है। उससे जवाब मांगा गया है। उसका जवाब मिलने के बाद दोनों बिंदुओं का अध्ययन किया जाएगा। फिर अगर महसूस हुआ का नगर निगम की निजी आय को जान बूझकर नुकसान पहुंचाया गया है तो उस अधिकारी पर नियमानुसार अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
- अभिजीत कुमार, महापौर भरतपुर

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