जयपुर। मकर संक्रांति 14 जनवरी को है। इस दिन बच्चों और युवाओं सहित बड़े-बुजुर्गों में पतंग उड़ाने को लेकर काफी उत्साह रहता है। अभी मकर संक्रांति को अभी तीन दिन बाकी है, लेकिन बच्चों और युवाओं में पतंगबाजी का दौर सिर चढ़कर बोलने लगा है। आसमान पतंगों से रंगीन नजर आने लगा है। यह सिलसिला मकर संक्रान्ति के बाद तक चलेगा। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
खास बात यह है कि बच्चे और युवा अभी से पतंगबाजी की तैयारियों में जुट गए हैं। बच्चों और युवाओं में रविवार के दिन का बेसब्री से इंतजार देखा जा रहा है। इसके अलावा रविवार को चलने वाली हवा के रुख को लेकर युवाओं और बच्चों में अभी से चर्चाएं शुरू हो चुकी हैं।
अलग-अलग तरह की पतंगें
पतंगों की कई किस्मों को देखा जा सकता है। किसी की छोटी-किसी की बड़ी, किसी की पूंछदार, किसी की अलग तरीके की पतंगें आसमान में उड़ने लगी हैं। ये पतंगें बच्चों में कौतूहल भी पैदा कर रही हैं। छत पर मौजूद बच्चे अपने-अपने तरीके से हवा का रुख भी देखते हैं और पतंगबाजी का मजा लेते हैं। पतंगबाजी में बच्चे ही नहीं। बड़े-बूढ़े भी शामिल हो रहे हैं।
स्कूल से लौटने के बाद सीधे छत का रुख
दोपहर में स्कूल से लौटने के बाद बच्चे सीधे घर की छतों पर पहुंच रहे हैं और अधिकतर घरों की छतों पर वो काटा-वो मारा का शोर मचा रहता है। उनके साथ युवाओं और बड़े-बुजुर्गों में खासा क्रेज देखा जा रहा है। पेंच लड़ाने के दौरान उंगली में कट लगने के बाद भी बच्चों में पतंगबाजी का जोश कम नहीं होता।
दो रुपए से पचास रुपए तक की पतंग
मकर संक्रांति पर पतंगबाजी के लिए बच्चों ने पूरी तैयारी कर ली है। लोग बाजार से पतंगें खरीदने में बिजी हैं। इसके अलावा रात-रात भर जाकर पतंगों में तंग डालने में जुट गए हैं। बच्चों में अपनी पसंद की पतंग और मांझा खरीदने की होड़ मची हुई है। बाजार में सबसे कम कीमत की पतंग की कीमत दो रुपए है, वहीं डिजाइनर औसत आकार की पतंग 50 रुपए तक मिल रही है, लेकिन ज्यादा मांग 2-10 रुपए कीमत तक की पतंगों की है। इसके अलावा रात में उड़ाने के लिए लालटेन वाली पतंग, चमकीली, पीली, लाल पतंगों की मांग है।
कार्टून करेक्टर्स की मांग
एक पतंग विक्रेता ने बताया कि पिछली बार बच्चों में कार्टून करेक्टर्स की पतंगों की बहुत डिमांड रही थी। इस बार बच्चों की पसंद का भी ध्यान रखा गया है।
स्थानीय मांझे की बढ़ी मांग
प्रशासन की सख्ती के साथ ही लोगों में जागरूकता आने से बाजार से अब चाइनीज मांझा आसानी से नहीं मिल रहा है। बाजार में स्थानीय कारीगरों द्वारा सादा को रंगकर केमिकल एवं बारीक कांच को मिलाकर तैयार मांझा उपलब्ध है।
बाइक पर रखें विशेष ध्यान
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