जयपुर। राजस्थान राज्य भण्डारण निगम के अध्यक्ष एवं राजस्थान कब्बडी एसोसिएशन के ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
अध्यक्ष जनार्दन सिंह गहलोत ने कहा कि भारत के प्राचीन एवं परम्परागत कब्बडी खेल को भी अन्य खेलों के समकक्ष लाने के प्रयास किये जा रहे हैं।
गहलोत पंचायत समिति कुम्हेर की ग्राम पंचायत अस्तावन में पण्डित दीन दयाल उपाध्याय के जन्मदिवस पर आयोजित डाॅ. दिगम्बर सिंह प्रो कब्बडी प्रतियोगिता के उद्घाटन के अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित खिलाड़ियों एवं जनसमुदाय को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि
राष्ट्रीय कब्बडी एसोसिएशन द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में छुपी प्रतिभाओं को तरासने के लिये टेलेन्ट सर्च कार्यक्रम आयोजित किये गये जिनमें आये 1100 खिलाड़ियों में से 200 खिलाड़ियों को चयन किया गया, जिनको प्रोत्साहन राशि दी जा रही है। उन्होंने कहा कि राज्य में मतदान केन्द्र स्तर पर
कब्बडी प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जायेगा। जिससे खेल प्रतिभाओं को आगे आने का मौका मिलेगा।
उन्होंने कहा कि प्राचीनकाल में भरतपुर में कुश्ती के साथ-साथ कब्बडी का भी परचम लहराता था, लेकिन आज कुश्ती बरकरार है लेकिन कब्बडी का खेल विलुप्त सा हो गया है। आज उसे पुनः पुराने स्तर पर लाने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि आज क्रिकेट खिलाड़ियों की आईपीएल में लाखों रूपये की बोली लगाई जाती है। अब प्रो कब्बडी में भी खिलाड़ियों की बोली 93 लाख रूपये तक पहुंच चुकी है। उन्होंने कहा कि अब केन्द्र एवं राज्य सरकार भी कब्बडी खेल को प्रोत्साहित करने के लिये बजट राशि के साथ ही खिलाड़ियों को सरकारी नौकरियों से भी लाभान्वित करा रही हैं। उन्होंने कहा कि भरतपुर जिले में कब्बडी को प्रोत्साहित करने के लिये 7 लाख रूपये की राशि से मेट उपलब्ध कराने की घोषणा की है। उन्होंने डाॅ. दिगम्बर सिंह के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ एवं दीर्घायु होने की कामना
की।
क्रार्यक्रम में पैरालंपिक खेलों में जैबलर थ्रो खिलाड़ी देवेन्द्र झांझड़िया ने कहा कि कब्बडी के खेत, ढाणी एवं ग्रामीण क्षेत्र का खेल है। यह एक दमखम का भी खेल होने के कारण स्वस्थ व्यक्ति ही इस खेल को खेल सकता है। उन्होंने कहा कि क्रिकेट की तरह कब्बडी खिलाड़ियों को भी खेल रत्न पुरस्कार मिलना चाहिये। क्रार्यक्रम में भारतीय टीम के सदस्य जसवीर सिंह ने कहा कि खिलाड़ी टीम भावना एवं मन लगाकर खेलें तभी वे आगे बढ़कर भरतपुर राज्य एवं देश का नाम रोशन कर सकेंगे। भारतीय टीम के कोच मनजीत चिल्लर ने कहा कि कब्बडी का दर्जा सदा ऊंचा रहा है, कब्बडी का खेल अनुसाशन का खेल है इससे खिलाड़ियों का जीवन अनुशासित तरीके से रहता है। भारतीय टीम के पूर्व कप्तान अनूप कुमार ने कहा कि हम सभी के प्रयासों से कब्बडी का खेल पुनः अपनी प्राचीन स्तर पर लाने का प्रयास किया जा रहा है।
कब्बडी प्रतियोगिता के संयोजक एवं जिला कब्बडी संघ के अध्यक्ष डाॅ. शैलेष
सिंह ने कहा कि कब्बडी को पुनः राष्ट्रीय एवं अन्तराष्ट्रीय स्तर पर लाने के प्रयास किये जा रहे हैं। इसी श्रृखला में आज डाॅ. दिगम्बर सिंह प्रो कब्बडी का आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस प्रतियोगिता में डीग-कुम्हेर क्षेत्र की 65 टीमों में लगभग 615 खिलाड़ी भाग ले रहे हैं।
इनमें 50 ग्राम पंचायत स्तरीय एवं 15 शहरी क्षेत्र की टीमें हैं। इस प्रतियोगिता में 116 मैच आयोजित किये जायेंगे।
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