बारां। बड़ा के बालाजी धाम में बुधवार को हजारों श्रद्धालुओं ने आसमान से बरसती बूंदों में भीगते हुए श्रीमद् भागवत कथामृत का भावपूर्ण रसपान किया। दिव्य गौसेवक संत पूज्य पं. कमलकिशोर ‘नागरजी’ ने कहा कि बिछिया असली हो या नकली, वह महिला के पैर में अच्छी लगती है, किसी डिब्बी में नहीं। नारी के पैर में भले ही नकली बिछिया क्यों न हो, वह सौभाग्यवती कहलाती है। इसी तरह,जो भक्त ईष्वर के चरणों में रहता है, वो भाग्यषाली रहता है। कोई धनाड्य होकर बंगलों में डिब्बी की तरह बंद रहते हैं, लेकिन कोई कथा-सत्संग से जाकर प्रभू के चरणों में भक्ति करते हैं, वहां वह कृपा वर्शा अवष्य करता है। जिस पर उसने दया दृश्टि डाल दी, वो तर गए। वर्शा में भीगना और सर्दी को सहना भी तप है। आप भक्ति में भीगे हो, इसलिए प्रभू के चरणों में हो। जहां मिले रोज यह चरणामृत लेते रहो। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
उन्होंने कहा कि जीवन में तीन अमृत हमेषा लेना। पहला, चरणामृत, जो मंदिरों में प्रभू दर्षन करने से मिलेगा। दूसरा, वचनामृत,जो कथा-सत्संग में अच्छी वाणी से मिलता है। तीसरा, अधरामृत, जो केवल मां की गोद में दुग्धपान से मिलता है। अधरामृत न धरती पर मिलता है, न आसमान में। यह केवल मां की गोद में मिल पाता है। पांडाल में ‘भजन करो, गोविंद नहीं है दूर, गोविंद मिलेगा जरूर..’ गंूजा तो उन्होंने कहा कि यह चैथा अमृत प्राकृत दया के रूप में उपर से किसानों पर बरसा है। वो आपके खेत में वर्शा कर आगे की हरियाली की व्यवस्था कर रहा है।
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