बारां। पूरी मानवता को शर्मसार करने वाली यह घटना बारां जिले के शाहबाद उपखंड में घटी। जहां उपचार के अभाव में न केवल एक मासूम की सांसें थम गई, बल्कि उसके शव को कंधे पर रखकर परिजनों को 6 किलोमीटर पैदल भी चलना पड़ा। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
जानकारी के अनुसार जुकाम-खांसी के बाद बच्चे की तबीयत बिगड़ी थी। पीड़िता पति और बच्चे की मां सुमन्तरा को साथ लेकर बच्चे को उपचार के लिए शाहाबाद चिकित्सालय लाई। वहां पहुंचे तो बच्चे की सांसें चल रही थी। जल्दी में उन्होंने पर्ची बनवाई लेकिन तब तक चिकित्सालय का समय पूरा होने के कारण चिकित्सक उठ गए। वह चिकित्सक के सरकारी आवास पर भी पहुंची, लेकिन उन्होंने बच्चे को देखने के बजाय शाम को पांच बजे आने या बच्चे को बारां ले जाने की कह दी। वह लोग कुछ देर अस्पताल में रैफर स्लिप लेने के लिए बैठे रहे ताकि उपचार मिल जाए या एम्बुलेंस से बारां भेज दें, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ।
रास्ते में तोड़ दिया दम
कुछ देर इंतजार के बाद वे बच्चे को बारां ले जाने को लेकर पैसों का इंतजाम करने के लिए घर के लिए रवाना हुए, लेकिन रास्ते में बच्चे की सांसें टूट गई। इसके बाद वे बच्चे के शव को गोद में उठाकर पूरा परिवार पैदल ही गांव की ओर चल पड़ा। वापस जाते समय कभी पिता के कंधे पर तो कभी दादी की गोद में बच्चे के शव को लेकर परिजन लौटे। इस दौरान बच्चे की मां सदमे में रही। 6 किमी. पैदल चलने के बाद एक राहगीर की उन पर नजर पड़ी तो उसने अपनी कार से इस परिवार को घर तक छोड़ा।
डॉक्टर देते रहे सफाई
ब्लॉक सीएमएचओ शाहाबाद डॉ. अटलराज मेहता से जब इस लापरवाही के बारे में बात की गई तो उन्होंने कहा कि बच्चे को शाहाबाद लाया गया था। जहां उसे उपचार दिया गया और बैठने को कहा ताकि उसे बारां भेजा जा सके, लेकिन परिजन बिना बताए उसे ले गए। मौत की जानकारी नहीं है।
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