मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के सिंचाई तंत्र को मजबूत बनाना हमारी
प्राथमिकता रही है। हमने इंदिरा गांधी नहर परियोजना सहित विभिन्न सिंचाई
परियोजनाओं पर 5 हजार 633 करोड़ रुपए व्यय कर करीब 50 हजार हैक्टेयर क्षेत्र
में अतिरिक्त सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराई है। चम्बल नहर प्रणाली में 383
करोड़ से 114 किमी मुख्य नहर और लाइनिंग का काम किया। चम्बल की बाईं मुख्य
नहर की मरम्मत के लिए 171 करोड़ रु. और दाईं नहर की मरम्मत के लिए 294 करोड़
रु. स्वीकृत किए। माही, चम्बल, साबरमती, लूनी, सूकली और पष्चिम बनास बेसिन
में 540 करोड़ रुपए की लागत से 262 माइक्रो सिंचाई टैंक, 42 माइक्रो स्टोरेज
टैंक और 48 चैक डेम बनवाए हैं। बड़ी सिंचाई परियोजनाओं में 852 करोड़ रुपए
की धौलपुर लिफ्ट परियोजना का काम भी हाथ में लिया जा रहा है। ये वे
परियोजनाएं हैं जो 50 वर्ष में भी जमीन पर नहीं आ पाईं। इसे अब हम हकीकत
में बदल रहे हैं। ये भी पढ़ें - यहां दीपक की लौ के रूप में आकर स्थापित हुईं मां चामुंडा
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