अजमेर। जुमे की नमाज के बाद शुक्रवार को दरबारे ख्वाजा गरीब नवाज (र.अ.) की बारगाह में अमन का पैगाम देने के लिए एक जलसा रखा गया। जो जैरे सरपरस्ती ख्वाजा गरीब नवाज (र.अ.) के रहा, प्रोग्राम के फाउन्डर हाजी सैयद अनीस मियां चिश्ती रहे। उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि देश और दुनिया में जो दहशतगर्दी और नफरत का माहौल होता जा रहा है, उसके लिए ख्वाजा साहब की बारगाह से कोई संदेश दिया जाना अत्यन्त आवश्यक है। क्योंकि इस वक्त ख्वाजा साहब का संदेश “मेरा पैगाम मोहब्बत है जहां तक पंहुचे“ को दुनिया के कोने कोने में पहुंचाए जाने की जरुरत है। इस नफरत भरे माहौल में ख्वाजा साहब का अमन का पैगाम ही इन्सान को इन्सान से मोहब्बत करना सिखा सकता है। अन्जुमन के पूर्व सदर अल्हाज सैयद गुलाम किबरिया ने अपने विचार रखते हुए कहा कि सूफीइज्म ही मोहब्बत का रास्ता है और सूफीइज्म के सरबरा ख्वाजा गरीब नवाज (र.अ.) हैं, जहां हर कौम व मिल्लत का आदमी अपनी अकीदत से अपनी हाजरी दर्ज कराता है। इसलिए यहां से दिया पैगाम हिन्दुस्तान ही नहीं, दुनिया के कोने कोने तक जा सकता है।इस जलसे को संबोधित करते हुए एडवोकेट सैयद इब्राहीम फखर, पूर्व संयुक्त सचिव अंजुमन सैयद जादगान ने अपने विचार रखते हुए बताया कि इस वक्त देश में बहुत जरूरी है कि इस मोहब्बत के संदेश को मुसलमान बनकर नहीं, एक इन्सान बनकर दिया जाना चाहिए और भटके हुए लोगों को इन्सानियत की राह पर लाने के लिए मुल्क के कोने कोने में ख्वाजा साहब के पैगाम को फैलाए जाना समय की जरूरत है। इस जलसे में हाजी सैयद फरीद महाराज, सैयद सरवत संजरी, सैयद एस एफ हसन चिश्ती, हाजी सैयद फजले नूर चिश्ती, सैयद मुसव्विर चिश्ती, शेखजादा जुल्फेकार चिश्ती, सचिव अंजुमन शेखजादगान, डॉ माजिद चिश्ती, सैयद सादिक उस्मानी ने भी अपने विचार रखे।
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