चंडीगढ़। पंजाब
के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने गुरू नानक देव थर्मल पलांट, बठिंडा
को बंद करने संबंधी सरकार द्वारा लिए फ़ैसले से पीछे हटने की संभावना को
रद्द कर दिया है क्योंकि यह प्लांट बिजली उत्पादन के लिए अब योग्य नहीं है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
यहां जारी एक बयान में मुख्यमंत्री ने बठिंडा थर्मल पलांट और रोपड़ थर्मल
पलांट के 2 यूनिट बंद करने का कारण बनी स्थितियों का जि़क्र करते हुये कहा
कि सूबे में बिजली की मांग कम होने और अन्य वैकल्पिक साधनों से सस्ती बिजली
की उपलब्धता होने जैसे अहम कारणों से यह फ़ैसला लिया गया है।
मुख्यमंत्री
ने अपनी प्रतिबद्धता को दोहराते हुये कहा कि थर्मल पलांट बंद होने से किसी
भी कर्मचारी के रोजग़ार का कोई नुक्सान नहीं होगा और सभी कामगारों की
सेवाएं उसी क्षेत्र में ही ली जाएंगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि बंद किये
थर्मल पलांट के कार्य पूरी तरह ठप्प हो जाने के बाद बठिंडा प्लांट की
अतिरिक्त मानव-शक्ति की सेवाएं उन कार्यों के लिए ली जाएंगी, जहां स्टाफ की
कमी होगी। उन्होंने कहा कि इससे उत्पादन बढ़ेगा क्योंकि इससे बिजली पैदा
करने के लिए पड़ती अधिक लागत पर रोक लगेगी जिससे पंजाब राज्य बिजली निगम को
बचत होगी। बठिंडा थर्मल पलांट में पैदा होने वाली बिजली की कीमत पॉवरकाम
में बिजली की समुच्चय कीमत के मुकाबले ज़्यादा पड़ रही है जिससे इस थर्मल
पलांट से बिजली का उत्पादन करना लाभप्रद नहीं है।
कैप्टन
अमरिंदर सिंह ने एक बार फिर स्पष्ट किया कि किसी भी स्टॉफ (रेगुलर या
कंट्रेक्ट के आधार पर) की छंटनी नहीं होगी और उनको पूरे वेतन पर ही नज़दीकी
स्थानों पर सेवाओं के लिए भेजा जायेगा।
सूबे
में बिजली की स्थिति संबंधी विस्तार में बताते हुये मुख्यमंत्री ने कहा कि
धान के सीज़न और धान के अलावा के सीज़नों के दौरान पंजाब में बिजली की
मांग में बहुत बड़ा फर्क होता है। इस वर्ष गर्मी के महीनों में अधिकतम
बिजली की मांग 11,600 मेगावाट थी जबकि ठंड के महीनों में यह मांग 5600
मेगावाट रिकार्ड की गई। ठंड में भी दिन और रात के समय में भी बिजली की मांग
में बड़ा फर्क होता है और रात के समय बिजली की मांग लगभग 3000 मेगावाट तक
रह जाती है। उन्होंने कहा कि चाहे पंजाब अतिरिक्त बिजली वाला सूबा बन गया
है परंतु इसके बिजली उत्पादन के सामथ्र्य का पूरा प्रयोग सिफऱ् धान के
सीज़न के दौरान 4 महीनों में ही होता है जबकि बाकी के आठ महीनों में
उत्पादन के सामथ्र्य से कम बिजली उपभोग होती है।
गत्
7 वर्षो 2009 -2010 से 2016-17 तक पंजाब की अपने स्तर पर बिजली की
पैदावार, केंद्रीय सैक्टर के प्रोजेक्टों आई.पी.पी.एस और एन.आर.एस.ई में
लंबे समय की हिस्सेदारी से बिजली सामथ्र्य 6900 मेगावाट से लगभग दोगुणी
होकर 14,000 मेगावाट हो गई जबकि सूबे में बिजली की वार्षिक बिक्री सिफऱ्
39 प्रतिशत ही बढ़ी जो 32,000 मेगा यूनिट से बढक़र 44,400 मेगा यूनिट बनती
है। इसी समय दौरान घरेलू और व्यापारिक बिक्री 86 प्रतिशत तक, उद्योग के लिए
सिफऱ् 27 प्रतिशत तक और कृषि ट्यूबवैलों (ए.पी.) के लिए 16 प्रतिशत तक
बढ़ी।
बठिंडा थर्मल
पलांट में लगी हुई पुरानी तकनीक के कारण इसमें बिजली की पैदावार के लिए
दूसरे थर्मल प्लांटों की अपेक्षा कोयले का अधिक उपभोग होता है। वर्ष
2016-17 दौरान बठिंडा थर्मल पलांट में बिजली की पैदावार के लिए प्रति यूनिट
3102 किलो कैलोरी रिकार्ड की गई जबकि गुरू हरगोबिंद थर्मल पलांट, लहरा
मोहब्बत में 2675, गुरू गोबिन्द सिंह सुपर थर्मल पलांट, रोपड़ में 3100,
नाभा पॉवर लिमिटड में 2268, तलवंडी साबो पॉवर लिमिटड में 2400 और जी.वी.के
में 2550 किलो कैलोरी प्रति यूनिट की खपत रिकार्ड हुई।
मुख्यमंत्री
ने कहा कि यह प्लांट पुराने समय का है और नये थर्मल प्लांटों के मुकाबले
इस थर्मल पलांट को चलाने के लिए अधिक मानव-शक्ति की ज़रूरत है जबकि नये
थर्मल प्लांटों के काम का पूरी तरह कम्प्यूटरीकरण किया हुआ है। इस समय नये
पलांट अधिक सामथ्र्य के यूनिटों जैसे कि 660 मेगावाट और 800 मेगावाट के साथ
स्थापित किये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि नये प्लांटों द्वारा दूसरे
प्लांटों के मुकाबले बिजली की प्रति यूनिट की पैदावार की कीमत कम है जबकि
पुराने प्लांट कम प्रभावशाली हैं क्योंकि इनमें कोयले का प्रयोग अधिक होता
है। पुराने प्लांटों को अधिक रख-रखाव की भी ज़रूरत है और इनकी मशीनरी की
कार्य क्षमता भी समय के साथ कम हो जाती हैं।
जहां
तक बठिंडा थर्मल पलांट का संबंध है, मेरिट पक्ष से कम होने के कारण इसका
अधिक प्रयोग नहीं हुआ और वर्ष 2015-16 में 22.73 प्रतिशत और वर्ष 2016 -17
में 17.74 प्रतिशत के प्लांट लोड फैक्टर (पी.एल.एफ) पर चलाया गया। प्लांट
लोड फैक्टर कम होने की वजह से वर्ष 2016 -17 के लिए बिजली की पैदावार 9.31
रुपए प्रति यूनिट की ऊंची कीमत पर की गई।
मुख्यमंत्री
के अनुसार रोपड़ थर्मल प्लांट में 800 मेगावाट के सामथ्र्य वाले तीन
यूनिटों के लिए विस्तृत संभावी रिपोर्ट देने का काम नोयडा की फर्म मैसर्ज
स्टीग एनर्जी प्राईवेट लि. को पहले ही सौंपा जा चुका है। इससे आगे पॉवरकाम
के बोर्ड ऑफ डायरैकटरज़ की मंज़ूरी से और इस फर्म द्वारा स्वीकार किये जाने
के बाद रोपड़ थर्मल पलांट में तेल को प्राकृतिक गैस के तौर पर और इसके
साथ-साथ कोयले वाले 800 मेगावाट की सामर्थय वाले पांच यूनिटों की स्थापना
के लिए विस्तृत संभावी रिपोर्ट भी इसी फर्म द्वारा तैयार की जायेगी।
मुख्यमंत्री
ने कहा कि प्रौद्यौगिकी में बदलाव आने के साथ-साथ पवन और सौर ऊर्जा जैसे
विकास भी हुए हैं। उन्होंने राज्य के हित में ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों की
ओर रूख करने की अहमीयत को दिखाया। उन्होंनें बताया कि सौर ऊर्जा की कीमत
जो 18 रुपए प्रति यूनिट रहती थी, हाल ही में कम होकर 3 रुपए प्रति यूनिट पर
आ गई है। इसी तरह पवन ऊर्जा की कीमत भी कम होकर 3 रुपए प्रति यूनिट पर आ
गई है और पंजाब के लिए भी पुरानी प्रौद्यौगिकी वाले थर्मल प्लांटों को बंद
करना और ऊर्जा के सस्ते स्रोतों की ओर रूख करना ज़रूरी है।
कैप्टन
अमरिंदर सिंह ने बताया कि पावरकॉम ने हाल ही में 2.75 रुपए प्रति यूनिट की
कीमत पर 150 मेगावाट पवन ऊर्जा खरीदने के लिए भारत सरकार के साथ एक समझौते
पर हस्ताक्षर किये हैं तथा एक अन्य 200 मेगावाट के लिए समझौता विचाराधीन
है।
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