चंडीगढ़ । पंजाब
की कैप्टन अमरिन्दर सिंह सरकार को फंसाने के लिए पूर्व मंत्री विक्रम सिंह
ने दलित अत्याचार कार्ड तो खेल दिया लेकिन इस दांव में वे खुद भी फंस गए।
उन्होंने मजीठा में हाल ही दलितों पर हुए अत्याचार के मामलों की जांच राज्य
के एससी एसटी आयोग से की थी। आयोग ने इसकी जांच के तो आदेश दिए साथ में गत
दस साल में दलितों पर अत्याचार की सभी घटनाओं की जांच के आदेश दे दिए। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
जांच
के आदेश भी एेसे व्यक्ति ने दिए जिसकी नियुक्ति अकाली-भाजपा सरकार ने की
थी। राज्य एससी आयोग के चेयरमैन पद पर आसीन राजेश बाघा को बीते दस साल तक
सत्ता में रही अकाली-भाजपा सरकार ने ही नियुक्त किया था।
दरअसल बिक्रम
सिंह मजीठिया की ओर से दलितों पर अत्याचार का मामला उठाने के बाद उनके हलके
के गांवों से कई लोगों ने राज्य एससी आयोग के समक्ष पेश होकर कई पुराने
मामले भी रख दिए हैं। लोगों ने आयोग से मांग की कि बीते दस साल के
अकाली-भाजपा शासन के दौरान दलितों पर हुए अत्याचारों की जांच कराई जाए।
ग्रामीणों का कहना है कि पूर्व सरकार के कार्यकाल में दलितों की कोई सुनवाई
नहीं हुई और पुलिस ने भी राजनीतिक दबाव में ऐसे मामले दर्ज नहीं किए।
ग्रामीणों
ने यह भी आरोप लगाया है कि पिछली सरकार के कार्यकाल में अमृतसर जिले के
दलितों पर काफी अत्याचार हुए, लेकिन पुलिस ने मजीठिया के इशारे पर कोई
कार्रवाई नहीं की। इन शिकायतों के आधार पर राज्य एससी आयोग ने अब पंजाब में
बीते दस साल के दौरान दलितों पर हुए हमलों की जांच के आदेश जारी किए हैं।
इसकी पुष्टि वीरवार को आयोग के चेयरमैन राजेश बाघा ने की।
उन्होंने
बताया कि इन मामलों की जांच के लिए एसआईटी का गठन कर दिया गया है जिसमें
ज्ञानचंद, डॉ. राज सिंह और भारती कैनेडी को शामिल किया गया है। यह टीम 26
मई को अमृतसर का दौरा करेगी और वहां बंगा गांव जाकर मौके का जायजा लेगी।
उन्होंने कहा कि इसी तरह बीते दस साल में दलितों पर हुए अत्याचार के मामलों
की जांच भी की जाएगी। उन्होंने बताया कि पिछली सरकार के कार्यकाल के दौरान
कई अन्य मामले भी सामने आए हैं।
इनमें एक शिकायत तरनतारन जिले के
गांव लाहोरा की है, जहां कहा जा रहा है कि दलितों पर अत्याचार हुए और एक
महिला को अगवा किया गया, लेकिन पूर्व मंत्री ने इस मामले में शिकायत दर्ज
नहीं होने दी। उल्लेखनीय है कि बिक्रम सिंह मजीठिया ने बंगा गांव में दलित
उत्पीड़न का मामला उठाते हुए जांच की मांग की थी।
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