कपूरथला। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश को डिजीटल इंडिया बनाने का सपना दिखा रहे हैं। वहीं पंजाब के मुख्यमंत्री भी प्रदेश को औद्योगिक क्षेत्र में नंबर वन सूबा बनाने की कवायद में जुटे हैं। लेकिन प्रदेश के सरकारी स्कूलों की हालत देखकर ये सपने पूरा होना कई सवाल खड़े करता है। प्रदेश के सरकारी स्कूलों में खाली पड़े पदों को देखकर कोई कह नहीं सकता है कि यहां शिक्षा की हालत अच्छी होगी। हकीकत देखें तो अकेले कपूरथला जिले में मास्टर कैडर के 475 पद खाली पड़े हैं। बच्चों की साइंस के प्रति रूचि बढ़ाने के मकसद से बने एशिया के सबसे बड़े साइंस सिटी वाले इस जिले में साइंस अध्यापकों की लंबे समय से 118 पद खाली पड़े हैं। ऐसे में साइंस के क्षेत्र में प्रगति की उम्मीद लगानी बेमानी होगी। ब्रितानी हुकूमत के समय सबसे अंत में अंग्रेजी शासन की गिरफ्त में आने वाली कपूरथला रियासत के आजादी के बाद हालात ये हो गए हैं कि इस विरासती जिले में आज अंग्रेजी पंजाबी भाषा पर हैवी है। कपूरथला जिले में पंजाबी अध्यापकों के 84 पद लंबे समय से रिक्त पड़े हैं, जबकि अंग्रेजी अध्यापकों के सिर्फ 10 पद ही खाली है। इससे राज्य की सरकारों की मंशा साबित होती है कि वह सूबे को किस तरफ लेकर जाना चाहती है। हालांकि लोग अंग्रेजी अध्यापकों की मौजूदगी के विरोधी नहीं है, लेकिन उनका कहना है कि पंजाबी सूबे और विरासती जिले के सरकारी स्कूलों में अगर पंजाबी अध्यापकों की भी कमी होगी तो फिर वह दुनिया के किस कोने में जाकर पूरी हो सकती है। इसे लेकर बुद्धिजीवी राम सिंह का कहना है कि अंग्रेजी के शिक्षक पूरे होना अच्छी बात है, लेकिन पंजाबी के अध्यापकों की इतनी ज्यादा कमी पंजाब की मातृभूमि बोली से लगाव रखने वालों को जरुर तकलीफ देती है। पंजाब के विरासती जिले में पंजाबी अध्यापकों का अकाल है और अंग्रेजी अध्यापकों की गिनती ज्यादा है। उल्लेखनीय है कि जिले के सरकारी स्कूलों में मास्टर कैडर के लगभग 1700 पद हैं, जिनमें 475 पद इस समय खाली पड़े हैं। जिला शिक्षा विभाग की ओर से हाल ही में इकठ्ठे किए गए आंकड़ों के मुताबिक जिले में सामाजिक शिक्षा के अध्यापकों के 107 पद रिक्त है। इनके अलावा हिदी के 69 अध्यापकों के पद खाली हैं, जबकि डीपीई की 47 पोस्ट रिक्त है। डीपीई की स्कूल में लगभग एक ही पोस्ट होती है और वह भी लंबे समय से खाली पड़ी है। ऐसे में एशियन व ओलंपिक खेलों में मेडल लाने के सपने देखने भी मुंगेरी लाल के हसीन सपनों की तरह होंगे। किसी जमाने में पंजाब की मुख्य भाषा मानी जाने वाली संस्कृत के 5 पोस्ट तो बेहद लंबे समय से खाली पड़ी है। होम साइंस की दो, म्यूजिक की 3, खेती बाड़ी की 4 एवं क्राफ्ट की एक पोस्ट जिले में खाली पड़ी है। इस बारे में कैबिनेट मंत्री राणा गुरजीत से संपर्क किया गया तो उन्होंने बताया कि आने वाले कुछ समय दौरान सरकारी स्कूलों में किसी किस्म की कमी नही रहने दी जाएगी।
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