अमृतसर। पंजाब की पूर्व कैबिने मंत्री लक्ष्मीकांता चावला ने कहा है कि प्रदेश में स्कूली शिक्षा में सुधार के लिए जरूरी है कि शिक्षकों की कमी को पूरा किया जाए और शिक्षकों से वही काम कराया जाए, जिसके लिए उनकी नियुक्ति की गई है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह दसवीं और बारहवीं के परीक्षा परिणाम अच्छे न आने पर नाराज हैं। आम तौर पर तो नेता लोग चिंता ही प्रकट करते हैं, पर नाराजगी पहली बार सुनने को मिली है। अगर वास्तव में ही मुख्यमंत्री स्कूल शिक्षा का स्तर सुधारना चाहते हैं तो सबसे पहले स्कूलों में अध्यापकों की संख्या पूरी करें और यह सुनिश्चित करें कि किसी भी स्कूल में परीक्षाओं में नकल नहीं होने दी जाए। लक्ष्मीकांता चावला ने कहा कि क्या मुख्यमंत्री नहीं जानते कि किस सुनियोजित ढंग से बच्चे नकल करते हैं और यह भी जानते होंगे कि जिन स्कूलों में अध्यापक ही नहीं हैं, वहां के विद्यार्थियों ने सत्तर प्रतिशत से अधिक अंक कैसे प्राप्त कर लिए। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री पहले स्कूलों में अध्यापकों की संख्या पूरी करें, अध्यापकों को वेतन पूरा दें तथा ठेके की गुलामी से बाहर निकालें। अध्यापकों से वही काम लें जिसके लिए उनकी नियुक्ति हुई है, उनको सडक़ों पर न भेजें। इसके साथ ही स्कूलों में किताबें, कापियां और यूनिफॉर्म जिन बच्चों को मुफ्त में देनी है, वह भी समय पर दी जाए। ज्यादा अच्छा यह है कि हर गरीब बच्चे की आवश्यकता सरकार पूरी करें। उन्हें जाति और मजहब के चश्मे से न देखें। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
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