ग्वालियर/झांसी। विकास लगातार नई इबारत लिख रहा है, कभी आवागमन का साधन घोड़ा गाड़ी हुआ करता था तो आज मोटर कार है, हवा से बातें करती रेल गाडिय़ां हैं और आकाश में उड़ान भरते जहाज। नैरोगेज की पटरी पर दौड़ती गाडिय़ां आने वाले समय में गुजरे वक्त की बात हो जाएंगी, नई पीढ़ी नैरोगेज की गाडिय़ों की गाथा को जान सके, इसके लिए रेलवे डॉक्यूमेंटरी तैयार करा रहा है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
झांसी रेल मंडल के अधीन आने वाले ग्वालियर में श्योपुर तक नैरोगेज रेल लाइन है। लगभग 200 किलोमीटर लंबी यह नैरोगेज रेल लाइन इस इलाके की जीवनरेखा है। इस लाइन पर दौडऩे वाली गाड़ी पर यात्रा करना किसी रोमांचक यात्रा से कम नहीं होता, क्योंकि इस गाड़ी की रफ्तार कई स्थानों पर पैदल चलने से भी धीमी हो जाती है। इतना ही नहीं, पहाडिय़ों के बीच से गुजरती गाड़ी प्रकृति के मनोरम नजारे से रूबरू करा जाती है।
देश में गिनती के स्थान ही ऐसे हैं, जहां नैरोगेज पर गाडिय़ां दौड़ रही हैं। जिन स्थानों पर भी गाड़ी चल रही है, उनका उपयोग पर्यटन की दृष्टि से हो रहा है। वहीं ग्वालियर-श्योपुर की नैरोगेज रेल लाइन आज भी यहां की बड़ी आबादी की जरूरत बन गया है। इस गाड़ी से यात्रा करना सस्ता तो है ही साथ में रोमांचकारी भी होता है।
इतना तो तय है कि आने वाले समय में ग्वालियर-श्योपुर की नैरोगेज रेल लाइन
पर चलने वाली गाड़ी भी गुजरे दौर की बात हो जाएगी, क्योंकि हर तरफ नैरोगेज
को ब्रॉड गेज में बदलने की मुहिम जारी है, इसे भी ब्रॉड गेज में बदलने की
मांग लगातार हो रही है। झांसी मंडल के जनसंपर्क अधिकारी मनोज सिंह ने
आईएएनएस को बताया, आम तौर पर रेल प्रांत की चौड़ाई ढाई मीटर होती है, मगर
ग्वालियर-श्योपुर की रेल प्रांत की चौड़ाई दो मीटर ही है।
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